Koderma: जयनगर के तिलोकरी में दुर्गा पूजा का इतिहास बहुत पुराना रहा है. कई वर्षो से इस गांव में दुर्गा पूजा मनाया जाता रहा है. बता दें कि इस दुर्गा मंदिर की स्थापना ब्रिटिश काल में हुई थी. साल 1920 में बंधन पांडेय और उनके भाइयों ने इसकी नींव रखी थी. आज भी लगभग 3 पीढ़ी से इस परंपरा को यह परिवार कायम रखे हुए है. दूसरी पीढ़ी में बैजनाथ पांडेय तथा उनके परिजनों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की परंपरा निभाई. उस समय से लेकर आज तक दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाया जाता रहा है.
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भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
प्रतिमा का निर्माण स्थानीय मिट्टी जो विशेष रूप से मूर्ति निर्माण के लिए सर्वोच्च माना जाता है, उसी से बनाया जाता है. कारीगर मूर्ति निर्माण करने में अपनी सर्वोच्च कला को प्रदर्शित करने की कोशिश करते हैं. तिलोकरी की दुर्गा पूजा का इतिहास बहुत महत्वपूर्ण रहा है. आजादी के कई वर्ष पहले से यहां पूजा हो रही है, जिसकी परंपरा आज भी कायम है. पूजा समिति के बालेश्वर पांडेय, संतोष पांडेय, सुरेंद्र पांडेय ने बताया कि सच्ची मनोकामना से माता रानी के दरबार में आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है. कितने लोगों की झोलियां मां दुर्गे ने भरी होंगी. तब से लेकर आज तक भव्य रुप से पांडाल बनाकर माता रानी की पूजा अर्चना विधि विधान से किया जाता है. पूजा को सफल बनाने में राम लखन यादव, नीलकंठ वर्णवाल, मंतोष पांडेय, प्रशांत यादव, पिंटू कुमार पांडेय, विकास पांडेय, विक्रम यादव, पवन पासवान, राम नरेश यादव, प्रदीप साव, सहित अन्य लोग लगे हुए हैं.
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