- एक दिव्यांग शिक्षिका के भरोसे कक्षा 1 से 5 तक के 89 बच्चे
- स्कूल में पानी नहीं, शौचालय बंद, बच्चों व शिक्षका को होती है परेशानी
Jaynagar (Koderma) : शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार बड़े-बड़े वादे और दावे करती है. वहीं, जयनगर प्रखंड के कटिया भुइयां टोला स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में सरकार के वादे पूरे होते नहीं दिख रहे हैं. यहां बच्चों को न तो सही से शिक्षा मिल पा रही है और न ही मध्याह्न भोजन मिल पा रहा है. शौचालय रहने के बावजूद प्रिंसिपल की मनमानी के कारण बच्चों और शिक्षिका को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है.
स्कूल में पानी की भी व्यवस्था नहीं है. पिछले डेढ़ साल से मोटर खराब पड़ा है. उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय कटिया भुइयां टोला में कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. स्कूल में नामांकित कुल 89 बच्चे सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे हैं. स्कूल में पदस्थापित एक मात्र शिक्षिका ही सभी बच्चों को पढ़ाती है. सभी को एक ही कक्षा में बैठाकर पढ़ाया जाता है. कुछ बच्चों को बरामदे में नीचे ही बैठा दिया जाता है. प्रिंसिपल साहब खुद ही स्कूल से हमेशा गायब रहते हैं.
रसोइया सजानती देवी बताती हैं कि यहां खाना बनाने के लिए पानी अपने घर से ही लेकर आना पड़ता है. विद्यालय में मोटर लगभग डेढ़ वर्षों से खराब है. कई बार कहा गया, पर प्राचार्य बनवाते ही नहीं हैं. वह स्कूल आते हैं और सिर्फ हाजिरी बनाकर चले जाते हैं. मध्याह्न भोजन के लिए चावल, 200 ग्राम दाल और हरी सब्जी में सिर्फ बैगन ही दिया जाता है. जब बैगन नहीं मिलता है, तो थोड़ा बहुत आलू दिया जाता है. उसी में किसी तरह खाना बनाकर बच्चों को देती हूं. रसोइया ने विद्यालय में पानी की व्यवस्था जल्द कराए जाने की मांग की.
मोटर खराब, पानी के अभाव में बंद रहता है शौचालय
इस विद्यालय में पदस्थापित एकमात्र शिक्षिका सरस्वती देवी दिव्यांग हैं. वह बताती हैं कि स्कूल में कुल 89 बच्चे नामांकित हैं. सभी बच्चों को एक ही कक्षा में बैठाकर पढ़ाती हूं. अकेले कैसे अलग-अलग कक्षा में पढ़ाऊंगी. प्राचार्य बहुत काम होने की बात कह कर विद्यालय से चले जाते हैं. कहते हैं इधर-उधर रिपोर्ट भी बनना पड़ता है. यह सब कह स्कूल की पूरी जिम्मेदारी थोप कर चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल में शौचालय है, पर पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण बंद रहता है. ऐसे में बच्चों और मुझे भी बाहर खुले मैदान में जाना पड़ता है. दिव्यांग होने के कारण उन्हें ज्यादा परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि आसपास के लोग बच्चों के बाहर शौच जाने पर गुस्सा भी करते हैं. विद्यालय में पानी की व्यवस्था कराने के लिए कई बार कहा गया, मगर अबतक कोई सुनवाई नहीं हुई.
क्या कहते हैं बच्चे
स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे बताते हैं कि प्रिंसिपल सर स्कूल में कभी-कभी ही रहते हैं. सिर्फ एक शिक्षका स्कूल में है, जो सभी बच्चों को पढ़ाती हैं. मध्याह्न भोजन तो समय पर मिलता है, पर पानी और शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है. स्कूल में पानी का कोई साधन ही नहीं है.
कागजी कार्य को लेकर कम समय दे पाते : प्राचार्य
प्राचार्य बहादुर पासवान से स्कूल की समस्या पर फोन से बात की गई. उन्होंने बताया कि पानी नहीं रहने की वजह से स्कूल का शौचालय बंद रहता है. मोटर जल जाने के कारण पानी की समस्या है. मोटर खराब होने की जानकारी बीआरसी को दी है. बीआरसी द्वारा बोला गया है कि कोई फंड आएगा तो उसे बनवा देंगे. स्कूल से गायब रहने के सवाल पर कहा कि कई कागजी काम होते हैं, जिसको लेकर हमेशा बीआरसी जाना पड़ता है. इसलिए स्कूल में कम समय दे पाते हैं.
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