Koderma : जयनगर प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में मां शैलपुत्री के पूजा-अर्चना के साथ नवरात्र का प्रारंभ हो गया है. मंत्र तथा श्लोकों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो रहा है. माता रानी के झंडे से पूरे क्षेत्र को सुशोभित किया गया है. बता दें कि शैलपुत्री की पूजा-अर्चना से मोक्ष सुख समृद्धि प्रदान होती है तथा इनकी आराधना करने से इच्छा शक्ति प्रबल होती है. शास्त्र के अनुसार शैलपुत्री को धूप, दीप, नैवेद्य, दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना एवं गाय के घी का भी भोग लगाकर पूजा अर्चना की जाती है. घी के दीपक से शैलपुत्री की आरती करने और क्षमा प्रार्थना करने से मां प्रसन्न होकर साधक की मनोकामना पूर्ति करती है. हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. सर्वप्रथम नवरात्रि के प्रथम दिन साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं और यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है. नवरात्रा के प्रारंभ में मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है तथा यहीं से सर्दी नवरात्रि प्रारंभ हो जाता है इस वर्ष की नवरात्रा 5 अक्टूबर विजयदशमी तक चलेंगी कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा का आह्वान स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा करने की परंपरा है .पूरे दिन मां शैलपुत्री का ध्यान करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है. उनकी कृपा से शांति और उत्साह मिलता है. माता अपने भक्तों को यश, ज्ञान, मोक्ष, सुख, समृद्धि प्रदान करती है. देवी मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान सहित पूजा-अर्चना करने के पश्चात आरती करने की परंपरा है.
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