Chaibasa: कोल्हान विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में शनिवार को हिंदी की मशहूर उपन्यासकार और कवयित्री गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ को इस साल के बुकर पुरस्कार से सम्मानित होने पर हर्ष समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान पीजी सेमिस्टर वन व टू के विद्यार्थियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए. मौके पर एचओडी डॉ. संतोष कुमार ने कहा कि हम हिंदी भाषियों के लिये यह गौरव एवं हर्ष की बात है कि पहली दफा किसी दक्षिण एशियाई भारतीय हिंदी भाषा के साहित्यकार गीतांजली श्री के उपन्यास रेत समाधि के अंग्रेजी अनुवाद ट्म्ब ऑफ सैंड (अनुवादक डेजी रॉकवेल) को अंतराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार प्रदान किया गया है.
यह पुरस्कार हिंदी साहित्य को विश्वफलक प्रदान करता है: डॉ. संतोष कुमार
उन्होंने कहा कि यह हिंदी और हिंदी साहित्य के स्तर को विश्वफलक प्रदान करता है. रेत समाधि दो पीढ़ियों की स्त्री विमर्श और बहनापे की अपने-अपने स्वीकार या अस्वीकार की कथा है जो अपने विमर्श को परिवार, समाज को लांघते हुए देश की सरहदें पार मानवीय संवेदानाओं के साथ लेकर जाती है. इस दौरान मुख्य रूप से सहायक प्रोफेसर (टॉपर) रितु कुमारी सिंह, शालिनी गोप, सुमली लोहरा, सुगांधी, पदमिनी, राधिका समेत काफी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे.
हिंदी के विद्यार्थियों को अमृत देने का काम
भारत के साहित्यकार को पहली बार हिंदी भाषा में बुकर पुरस्कार प्राप्त है जो एक गर्व की बात है. हिंदी विषय के विद्यार्थियों को एक अमृत देने का काम किया गया है. गीतांजलि के उपन्यास ‘रेत समाधि’ पुस्तक हर विद्यार्थी को पढ़ाना चाहिये. एक नई ऊर्जा मिलेगा. महिलाओं के मुद्दों को काफी गंभीरता से बताया गया है. -रितु कुमार सिंह\ शालिनी गोप, शिक्षिका, पीजी विभाग
विद्यार्थियों को ऊर्जा मिलेगी
हमें खुशी है कि हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिये विश्व स्तर पर बुकर पुरस्कार मिला है. इससे हम जैसे विद्यार्थियों को ऊर्जा मिलेगी. भाषा की बात करें तो देश में बुकर पुरस्कार सबसे पहले अंग्रेजी को मिला था. लेकिन अब हिंदी को भी मिला. -गायत्री कुमारी गोप, छात्रा, पीजी विभाग