Ranchi : कुड़मी समाज का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को सुजाता मोहंता के नेतृत्व में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिला. उन्हें ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति से मांग की गयी कि झारखंड, ओड़िशा और बंगाल के गोत्रधारी कुड़मी/कुरमी को एसटी सूची में शामिल किया जाए. प्रतिनिधिमंडल में प्रेमलता महतो, सुकुमारी मोहंता, शांति लता महतो, पार्वती मोहंता शामिल थीं.
राष्ट्रपति से की गयी मांग
राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि 3 मई 1913 को प्रकाशित इंडिया गजट नोटिफिकेशन नंबर 550 दिनांक 2 मई 1913 में कुडमी जनजाति को एवोरिजनल एनिमिस्ट मानते हुए छोटानागपुर के कुड़मियों को अन्य आदिवासियों के साथ भारतीय उत्तराधिकारी कानून 1865 के प्रावधानों से मुक्त रखा गया. 16 दिसंबर 1931 को प्रकाशित बिहार- ओड़िशा गजट नोटिफिकेशन नंबर 49 पटना में भी उल्लेख किया गया है कि बिहार – ओड़िशा में निवास करने वाले मुंंडा, उरांव, संथाल, हो, भुमीज, खड़िया, घासी, गौंड, कांध, कौरआ, कुड़मी, माल, सौरिआ और पान को प्रिमिटिव ट्राइव मानते हुए भारतीय उत्तराधिकारी कानून 1925 से मुक्त रखा गया, कुड़मी जनजाति को सेंसस रिपोर्ट 1901 के वोल्यूम (1) के पेज 328-393 में, सेंसस रिपोर्ट 1911 के वोल्यूम (1) के पेज 512 तथा सेंसस रिपोर्ट 1921 के वोल्यूम (1) पेज 356-365 में स्पष्ट रूप से कुड़मी जनजाति को अवोरिजनल एनिमिस्ट के रूप में दर्ज किया गया. इसके अलावे बहुत सारे दस्तावेज होने के बावजूद कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर रखा गया है. जिसके कारण आज यह जनजाति अन्य सभी जनजातियों से रोजगार, शिक्षा के साथ-साथ राजनैतिक भागीदारी में अंतिम पायदान पर चला गया है,
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