Ranchi: सरेंडर कर चुके नक्सली कुंदन पाहन को फिलहाल ओपन जेल में ही रहना होगा. रांची एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने कुंदन की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद उसे जमानत देने से इंकार कर दिया है. गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कुंदन के अधिवक्ता ने अदालत से कहा की राज्य सरकार की सरेंडर पॉलिसी के तहत उसने आत्मसमर्पण किया है. सरेंडर करने के बाद किसी भी आपराधिक घटना में उसका नाम नहीं आया है. लिहाजा कुंदन की लम्बी न्यायिक हिरासत की अवधि को देखते हुए जमानत दी जानी चाहिए. जिस पर एनआईए के अधिवक्ता ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर कुंदन पाहन जेल से बाहर आ जाता है तो वो इस केस से जुड़े गवाहों को प्रभावित कर सकता है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कुंदन पाहन की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी.
इसे भी पढ़ें- बिहारः 12 बार कोविड वैक्सीन लगवा चुके ब्रह्मदेव मंडल ने की बूस्टर डोज लगवाने की मांग
बता दें कि आत्मसमर्पण के 5 साल बीतने के बाद सरेंडर कर चुके नक्सली कुंदन पाहन ने कोर्ट से जमानत की गुहार लगायी थी. कुंदन पाहन ने NIA कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी. कुंदन पूर्व मंत्री और तमाड़ के तत्कालीन विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या समेत कई चर्चित घटनाओं को अंजाम देने का आरोपी है. लेकिन अब ओपन जेल की चाहरदीवारी में रहते हुए बाहर आने की कोशिश में है. कुंदन पाहन अपने गांव लौटकर परिवार के साथ समय बिताना चाहता है. इसलिए जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी दी है. कुंदन पाहन के अधिवक्ता ईश्वर दयाल किशोर के मुताबिक कुंदन पाहन ने अपनी कस्टडी की अवधि को जमानत का आधार बनाकर न्यायालय से उसे बेल देने की गुहार लगाई गयी थी.
इसे भी पढ़ें- जब पीएम मोदी से अशोक गहलोत ने बेबाक कहा, देश में हिंसा-तनाव का माहौल है