Ranchi : केंद्र सरकार द्वारा लाये गये चार श्रम कोड का देश भर में विरोध जारी है. अब झारखंड सरकार ने भी इसकी ड्राफ्ट नियमावली जारी कर दी है. यह केंद्र द्वारा लागू किये गये श्रम कोड पर आधारित है. 14 जुलाई को श्रम विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर इसे लॉन्च किया गया. राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी नियमावली का प्रारूप केंद्र के दो कोड पर आधारित है. इनमें पहला लेबर वेज कोड और दूसरा औद्योगिक रिलेशनशिप कोड है. विभाग की ओर से इस प्रारूप पर आपत्ति या सुक्षाव देने के लिए एक महीने का समय दिया गया है.
इधर नियमावली का प्रारूप जारी होने के बाद से राज्य के श्रम संगठनों में उबाल है. राजस्थान सरकार ने भी नियमावली बनाकर वापस ले ली है. ऐसे में झारखंड में भी इसे वापस कराने के लिए आंदोलन की रणनीति बनेगी. श्रमिक नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भरोसा दिया था कि राज्य में श्रम कोड नियमावली लागू नहीं की जायेगी. इसके बावजूद नियमावली बना कर इसका प्रारूप जारी कर दिया गया. सरकार ने प्रारूप बनाने के पहले ट्रेड यूनियनों को विश्वास में लेने का कोई प्रयास नहीं किया न ही किसी तरह का विचार-विमर्श नहीं किया गया.
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क्या है केंद्र के श्रम कोड में
केंद्र सरकार ने पिछले साल श्रम कोड लागू किया था. इसमें 44 श्रम कानूनों में से 29 को खत्म कर दिया गया था. बचे हुए 15 कानूनों से चार अलग-अलग श्रम कोड बनाये गये. यो कोड इंडस्ट्रियल रिलेशनशिप, सामाजिक सुरक्षा, मजदूरी दर और ऑक्यूपेशनल सुरक्षा तथा स्वास्थ्य और कामकाज संबधी व्यवस्था से संबंधित हैं. सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्य के राज्य महासचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि केंद्रीय श्रम कोड में एक नियत अवधि के लिये रोजगार की बात है. ऐसे में बहाली के बाद लोगों को एक महीने में भी निकाला जा सकता है. अधिकांश प्रावधान मालिकपक्षीय है.
जिस एडवायजरी कमेटी की बात कोड में की गयी है, उसके क्या अधिकार होंगे, यह उल्लेखित नहीं है.
क्या है राज्य की नियमावली में
झारखंड के श्रम विभाग की ओर से जारी नियमावली में कई बिंदुओं का जिक्र है. इसमें राष्ट्र के मानकों को ध्यान में रखते हुए मजदूरी दर का निर्धारण करने, राज्य एडवायजरी कमेटी जिसमें एक अध्यक्ष, सदस्य सचिव और आठ सदस्य पद होंगे, का गठन करने. सप्ताह में छह दिन कार्यदिवस करने, महंगाई भत्ते की समीक्षा अप्रैल और अक्टूबर में करने, दो पालियों में काम का प्रावधान करने. औद्योगिक ईकाइयों में ट्रेड यूनियन प्रतिनिधि रखने तथा बोनस आदि का जिक्र है. यह भी प्रावधान किया गया है कि किसी भी ईकाई में बीस से अधिक लोग यूनियन के मेंबर नहीं हो सकते हैं. ट्रेड यूनियन मान्यता प्राप्त है या नहीं इसकी जानकारी नियोजक लिखित में ले सकते हैं.
मुख्यमंत्री के आश्वासन के इतर जाकर बनायी नियमावली
ऑल इंडिया सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियंस के राज्य महासचिव शुभेंदु सेन ने बताया कि श्रम समवर्ती सूची का हिस्सा है. ऐसे में केंद्र ने कोड लागू किया. अब राज्य सरकार ने नियमावली का प्रारूप बना दिया. अभी दो कोड की नियमावली आयी है. लेकिन श्रम विभाग ने मुख्यमंत्री के आश्वासन के इतर जाकर नियमवाली बनायी है. आश्वासन था कि राज्य में कोड लागू नहीं होगा. इससे मजदूरों की स्थिति खराब हो जायेगी. ट्रेड यूनियनों को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी. ऐसे में मजदूरों की शक्ति क्षीण हो जायेगी. उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार ने नियमावली वापस ले ली है. ऐसे में राज्य में भी इसे वापस कराने के लिए आंदोलन की रणनीति बनेगी.
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