Ranchi : हिंदी दैनिक शुभम संदेश अखबार और Lagatar.in में एसपी अभियान अमित रेणु द्वारा तीन घंटे तक मासूम बच्चे को कमरे में अवैध तरीके से घेर कर प्रताड़ित करने के संबंध में खबर प्रकाशित हुई थी. खबर प्रकाशन के बाद चाइल्ड राइट्स फाउंडेशन ने इस पर संज्ञान लिया है. मंगलवार को चाइल्ड राइट्स फाउंडेशन के सचिव बैजनाथ कुमार ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष, झारखंड के डीजीपी और सीआईडी के डीजी को पत्र लिखकर एसपी अभियान अमित रेणु समेत इस शर्मशार करने वाली घटना में शामिल अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.चाइल्ड राइट्स फाउंडेशन ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि इस पूरे घटना की जांच कर एसपी अभियान अमित रेणु व अन्य पुलिकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए.
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रवीश के 7 साल के बेटे को इस तरह से थाना में कैद करके रखा गया
वाक्या बीते शनिवार अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे का है. अपनी शिकायत में बरियातू रोड, रांची के जयप्रकाश नगर निवासी रवीश कुमार सिंह ने बताया, वह अपने सात साल के बेटे और एक मित्र के साथ सिकिदिरी थाना क्षेत्र के हुंडरू फॉल घूमने गए थे. इस दौरान वह एक सुरक्षित जगह पर अपने बच्चे के साथ प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे. इसी बीच सादे लिबास में एक दंपती वहां पहुंचे और उनलोगों को वहां से हट कर कहीं और जाने को कहा. रवीश का कहना है कि उक्त दंपती खुद वहां बैठना चाहते थे. उन्होंने जब कारण पूछा, तो वे उग्र हो गए और अपमानजनक शब्द कहने लगे. फिर अचानक वहां चार-पांच सुरक्षा बल के जवान पहुंच गए, रवीश और उसके मित्र के साथ सात साल के बच्चे को कब्जे में ले लिया.
हालांकि रवीश ने पूरी वारदात अपने कैमरे में कैद कर ली थी. फिर वे लोग वीडियो डिलीट करने का दबाव बनाने लगे, तो रवीश ने इनकार कर दिया. इसके बाद सभी जवान जोर-जबरदस्ती करने लगे. फिर बच्चे समेत तीनों को सिकिदरी थाना लेकर चले गए. इस दौरान पूरे रास्ते रवीश को भद्दी-भद्दी गालियां देते रहे. थाना पहुंचने पर रवीश को पता चला कि उक्त व्यक्ति रांची जिला में पदस्थापित एसपी अभियान (नक्सल) अमित रेणु हैं. इधर, सिकिदिरी थाना में एसपी अभियान ने थानेदार को एफआई दर्ज करने का निर्देश देते हुए रवीश को धमकाया और माफी मांगने पर छोड़ देने की बात कही.
लेकिन रवीश अपनी बात पर अडिग रहे और पूछा आखिर उसे किस गलती के लिए माफी मांगनी है. इस पर आईपीएस अधिकारी काफी नाराज हो गए और छीने गए फोन में कैद वीडियो को डिलीट करने का दबाव बनाने लगे. रवीश का आरोप है कि इनकार करने पर थाना के कर्मियों ने जबरन उनका हाथ मरोड़ते हुए फोन में थंब इंप्रेशन लिया और संबंधित वीडियो डिलीट कर फोन थमा दिया. हालांकि इसके बाद भी उनलोगों का मन नहीं माना और करीब तीन घंटे तक बच्चे व मित्र समेत उन्हें थाने में रोके रखा गया.
सात साल के बच्चे को थाना के एक कमरे में कैद कर रखा गया
रवीश कुमार सिंह ने आगे बताया कि पूरे घटनाक्रम के दौरान उनके सात साल के बच्चे को थाना के एक कमरे में कैद कर रखा गया. वहां एक महिला पुलिसकर्मी दरवाजे को घेर कर खड़ी हो गई थी. ऐसे में एक मासूम की मनोवृत्ति पर क्या असर पड़ा होगा, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. हालांकि तब तक रवीश के हाथ में उनका फोन आ चुका था और उन्होंने कमरे में कैद अपने बच्चे की तस्वीर फोन के कैमरे में कैद कर ली. इधर पुलिस द्वारा रवीश के माता-पिता को फोन कर थाना बुलाया गया. जबकि रवीश स्वयं बालिग हैं. कुछ समय बाद रवीश की 60 वर्षीय मां थाना पहुंचीं, तो सभी को छोड़ दिया गया.
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