Ranchi: बीजेपी विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि चारा घोटाला मामले में लालू यादव सीबीआई जांच रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट गये थे, लेकिन उन्हें जेल जाना पड़ा. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी वही इतिहास दोहरा रहे हैं. बाबूलाल ने कहा कि जब चारा घोटाला मामले में लालू यादव पर आरोप लगा तब केंद्र और राज्य दोनों जगह लालू यादव के प्रभुत्व वाली सरकार थी. जांच एचडी देवगौड़ा के कार्यकाल में शुरू हुई थी और इंदर कुमार गुजराल के समय लालू यादव जेल गये. लालू सीबीआई जांच रोकने सुप्रीम कोर्ट गये थे, लेकिन परिणाम सामने है. वैसे ही आज हेमंत सोरेन भी जांच से बच निकलने के लिए वही इतिहास दोहरा रहे हैं.
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बेशक पुराने भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करें हेमंत
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पुराने भ्रष्टाचार की बात करते हैं. वे बेशक उनपर (रघुवर दास) कार्रवाई करें, लेकिन अपने शासनकाल में एक संगठित व्यापार का रूप ले चुके इस भ्रष्टाचार के पहाड़ पर एक छेनी भी तो हेमंत सोरेन को चलाना चाहिए. वो ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं. कहीं वे इस डर या दबाव में तो नहीं है कि उनके राजदारों के मुंह खोलने से वे भी सलाखों के पीछे होंगे.
हेमंत का मीडिया इंटरव्यू बता रहे कि वे कितने दबाव
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन को राज्यहित में खुद सामने आकर ऐसे भ्रष्ट अधिकारी और माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन वे इतने दबाव में लगते हैं कि उल्टे ईडी की कार्रवाई को कभी गीदड़ भभकी तो कभी मीडियाबाजी बताते हैं. कभी कहते हैं कि ईडी ही मुसीबत में पड़ जाएगी. बाबूलाल ने कहा कि हेमंत सोरेन के रविवार को दिये गये टीवी इंटरव्यू को देखकर कोई भी बता देगा कि वे कितने दबाव में हैं.
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चार्जशीटेड IAS छवि रंजन को रांची डीसी बनाए रखने की सीएम की क्या है मजबूरी
बाबूलाल ने कहा कि हेमंत सोरेन ने 29 महीनों में अवैध खनन में संलिप्त किसी भी माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं की है. ना ही किसी भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कोई जांच कराई है. पिछले 29 महीने से साहिबंगज, धनबाद से लेकर रांची तक अवैध सिंडिकेट खुलेआम डंके की चोट पर अपना अवैध व्यापार चला रहे हैं. अब भ्रष्टाचार का यह खुल्लम-खुला खेल बगैर राजनीतिक संरक्षण और अधिकारियों की संलिप्तता के कैसे संभव है. रांची डीसी को भी लपेटते हुए उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी सीएम की एक चार्जशीटेड अधिकारी को रांची का डीसी बनाए रखने की कौन सी मजबूरी है.