Ranchi : रांची में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता लालू प्रसाद यादव को 139 करोड़ रुपये के चारा घोटाला मामले में पांच साल कैद की सजा सुनाई और उन पर 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. सजा के बाद लालू यादव ने ट्वीट कर कहा कि ‘वो हरा नहीं सकते इसलिए साजिशों से फँसाते है।’ लालू यादव ने लिखा, “अन्याय असमानता से, तानाशाही ज़ुल्मी सत्ता से, लड़ा हूँ लड़ता रहूंगा, डाल कर आंखों में आंखें, सच जिसकी ताकत है, साथ है जिसके जनता, उसके हौसले क्या तोड़ेंगी सलाखें.”
लड़ाकों का संघर्ष कायरों को ना समझ आया है ना आएगा
उन्होंने आगे लिखा, “मैं उनसे लड़ता हूँ जो लोगों को आपस में लड़ाते है, वो हरा नहीं सकते इसलिए साजिशों से फँसाते है। ना डरा ना झुका, सदा लड़ा हूं, लड़ता ही रहूंगा, लड़ाकों का संघर्ष कायरों को ना समझ आया है ना आएगा.” पिछले हफ्ते दोषी ठहराए जाने के बाद होटवार जेल से राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स), रांची में स्थानांतरित किए गए 73 वर्षीय बुजुर्ग राजनेता को पहले झारखंड में दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से जुड़े चार अन्य मामलों में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी.
अन्याय असमानता से
तानाशाही ज़ुल्मी सत्ता से
लड़ा हूँ लड़ता रहूँगा
डाल कर आँखों में आँखें
सच जिसकी ताक़त है
साथ है जिसके जनता
उसके हौसले क्या तोड़ेंगी सलाख़ें— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) February 21, 2022
दरअसल कोर्ट द्वारा सजा के ऐलान के बाद लालू यादव ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर इसको लेकर प्रतिक्रिया दी है. लालू यादव ने कविता के अंदाज में बताया है कि वो जेल जाने से नहीं डरते हैं क्योंकि उनके साथ जनता है.
लालू यादव ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा
अन्याय असमानता से
तानाशाही जुल्मी सत्ता से
लड़ा हूं लड़ता रहूंगा
डाल कर आखों में आंखें
सच जिसकी ताकत है
साथ है जिसके जनता
उसके हौसले क्या तोड़ेगी सलाखें.
मैं उनसे लड़ता हूँ जो लोगों को आपस में लड़ाते है
वो हरा नहीं सकते इसलिए साजिशों से फँसाते है
ना डरा ना झुका, सदा लड़ा हूँ और लड़ता ही रहूँगा
लड़ाकों का संघर्ष कायरों को ना समझ आया है ना आएगा.
कविता के बाद लालू यदाव ने लिखा है कि, ‘मैं उनसे लड़ता हूं जो लोगों को लड़ाते हैं’. लालू यादव ने ये लाइन बिहार की सत्ताधारी पार्टी के लिए लिखी है.
बता दें कि बिहार में चारा घोटाला का मामला 1997 में उस वक्त सामने आया था जब चाईबासा के तत्कालीन उपायुक्त रहे अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों में छापेमारी की थी और सभी दस्तावेजों को जप्त कर लिया था. उसमें आपूर्ति के नाम पर अवैध निकासी के सबूत मिले थे. उस वक्त झारखंड बिहार का ही हिस्सा हुआ करता था.
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