Ranchi: 18 फरवरी को हजारीबाग के बड़कागांव अंचल के पसेरिया गांव के सात रैयतों को जमीन वापस कर दी गयी. लोगों के बीच एक मैसेज गया कि आदिवासियों की जमीन को अब हड़प लेना मुश्किल हो जाएगा. छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) के तहत जमीन विवाद के मामलों की सुनवाई अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपई सोरेन के कोर्ट में हुई.
उनके निर्णयों को कार्यपालक नियमावली के तहत राज्यपाल व मुख्यमंत्री के समक्ष पेश किया जाता है. उनका निर्णय अंतिम होता है. इसी न्यायालय में रांची के बूंटी मौजा के खाता संख्या 79 प्लॉट संख्या 1947, 1948 और 1949 कुल 2.90 एकड़ जमीन का मामला भी लंबित है. जमीन का लोकेशन मेडिका अस्पताल के पास का है. मामले की सुनवाई मंत्री चंपई सोरेन की अदालत में चल रही है. इस जमीन पर दो लोगों के नाम पर जमाबंदी कायम है.
चंपई सोरेन की कोर्ट की तरफ से दोनों पार्टियों को नोटिस भी दी गयी है. पिछली सुनवाई 30 दिसंबर को हुई. बावजूद इसके जमीन माफिया ने जमीन पर बाउंड्री खड़ी कर ली. वो भी रातों-रात. लगातार की टीम मौके पर पहुंची और वहां के आस-पास के लोगों से बात की. लोगों ने कहा कि बाउंड्री खड़ा करने का काम कौन कर रहा यह नहीं पता. लेकिन यह बाउंड्री रातों-रात खड़ी कर ली गयी.
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बड़कागांव के सात आदिवासी रैयतों की हुई जमीन वापसी
मंत्री चंपई सोरेन की कोर्ट की तरफ से 18 फरवरी को एक फैसला आया. फैसला में हजारीबाग के बड़कागांव अंचल के पसेरिया गांव के सात रैयतों को जमीन वापस कर दी गयी. इन रैयतों की जमीन ज्वाइंट वेंचर रोहाने कोल कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने ली थी. इन वेंचर में जेएसडब्ल्यू स्टील, भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड और जय बालाजी इंडस्ट्री शामिल थी. वेंचर पर लगातार आरोप लग रहा था कि कंपनी ने जिन सरकारी शर्तों के साथ रैयतों की जमीन ली है, उसे पूरा नहीं किया जा रहा. ऐसे में राज्य में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) के तहत जमीन विवाद के मामलों की सुनवाई अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने करते हुए जमीन वापसी का फैसला सुनाया है.
वहीं जिन रैयतों की जमीन वापस हुई है, उनमें हाकिम सोरेन, फागु मांझी, देमका मांझी, करमी देवी, अजय सोरेन, जगदीश मांझी और राजेंद्र सोरेन शामिल हैं. ये सभी आदिम जनजाति से जुड़े रैयत हैं.
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