Ranchi: झारखंड के अलग-अलग जिलों में पिछले कुछ वर्षों में तीन अधिवक्ताओं की हत्या हो चुकी है. इसके अलावा लगभग आधा दर्जन वकीलों को विभिन्न मामलों में धमकी मिल चुकी है. उनके साथ हिंसक घटनाएं घटित हो चुकी हैं. सबसे पहले हम आपको बता रहे हैं कि पिछले कुछ वर्षों में कब-कब अधिवक्ताओं को मौत के घाट उतारा गया और कब उनके साथ हिंसक घटनाएं हुई और उसके पीछे की वजह क्या रहीं.
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1.गढ़वा में तत्कालीन एसपी मो अर्शी के बॉडीगार्ड के द्वारा अधिवक्ता आशीष दुबे के साथ मारपीट.
- धनबाद में एक अधिवक्ता की गेट काटकर पुलिस द्वारा गिरफ्तारी.
- रांची में अधिवक्ता रामप्रवेश सिंह के घर में घुसकर अपराधियों द्वारा हत्या,घटना के पीछे ज़मीन विवाद एक बड़ी वजह थी.
- जमशेदपुर में अधिवक्ता प्रकाश यादव की हत्या.
- रांची की एक महिला अधिवक्ता के साथ पुलिस द्वारा बदसलूकी.
- रांची के वकील मनोज झा की तमाड़ में हत्या,घटना के वक्त अधिवक्ता जमीन पर बाउंड्री कार्य देखने गए थे.
- हाईकोर्ट की महिला अधिवक्ता तलत परवीन को केस हारने पर उनके ही मुवक्किल ने जान मारने की धमकी दी. घटना के बाद डोरंडा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.
- स्टेट बार काउंसिल के सदस्य हेमंत शिकरवार पर हमला. इस घटना के पीछे भी जमीन विवाद ही मुख्य वजह बताई जा रही है.
आंकड़े बताते हैं कि बीते कुछ वर्षों में झारखंड के अधिवक्ता पुलिस ,अपराधी और आम लोगों की हिंसा का शिकार हुए हैं. लेकिन इन आंकड़ों से ये भी स्पष्ट हो रहा है कि कुछ मामलों को छोड़ दें तो अधिवक्ताओं के साथ होने वाली हिंसक घटनाओं के पीछे जमीन विवाद एक बड़ी वजह बन रही है.
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झारखंड हाइकोर्ट की महिला अधिवक्ता और बार काउंसिल की एकमात्र निर्वाचित सदस्य रिंकू भगत ने JSBC के सदस्य हेमंत शिकरवार के साथ हुई घटना की निंदा करते हुए कहा कि अधिवक्ताओं को भूमि संबंधित विवादों का निपटारा कोर्ट के अंदर करना चाहिए न कि कोर्ट के बाहर, वकालत के पेशे कि मर्यादा को बरकरार रखने के लिए अधिवक्ताओं को भूमि विवाद से खुद को दूर रखना चाहिए. क्योंकि वक़ालत का लाइसेंस कोर्ट में मुकदमे लड़ने के लिए मिला है, भूमि विवाद मे पड़ने के लिए नहीं.