Sunil Kumar
Latehar : स्वच्छ भारत मिशन में एमआईएस, आईईसी, एसएलडब्ल्यूएम, एसीसी, डब्ल्यूएएस कोर्डिनेटरों को संविदा के आधार पर नियुक्त करने के लिए इश्तेहार जारी किया गया था. उसके बाद एक चयन समिति का गठन किया गया. आश्चर्य तो तब हुआ जब अंतिम मेधा सूची कार्यपालक अभियंता सह सदस्य सचिव जल जीवन मिशन के एकल हस्ताक्षर द्वारा जारी किया गया. मालूम हो कि पेयजल स्वच्छ प्रमंडल लातेहार में जल जीवन मिशन के तहत विभिन्न पदों पर संविदा आधारित कर्मियों की बहाली हेतु परीक्षा आयोजित की गई थी.
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चयन समिति के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं होने से संदेह
परीक्षा के उपरांत चयनित उम्मीदवारों की वरीयता क्रम में अंतिम मेघा सूची गत 4 नवंबर 22 को प्रकाशित की गयी है. मेधा सूची में न तो चयन कमेटी के सदस्यों का कोई हस्ताक्षर है और ना वरीय पदाधिकारियों का कोई हस्ताक्षर है. जबकि इसके पूर्व जो बहाली की गयी थी उसमें कार्यपालक अभियंता सह सचिव जिला जल समिति एवं उप विकास आयुक्त सह नोडल पदाधिकारी जिला जल एवं स्वच्छता समिति सहित पूरे कमेटी की हस्ताक्षर से जारी किया गया था. वैसे भी लातेहार को छोड़ कर अन्य सभी जिलों में जो सूची जारी की गई है, उसमें कार्यपालक अभियंता सह सचिव जिला जल समिति एवं नोडल पदाधिकारी सह उप विकास आयुक्त व चयनित कमेटी के सदस्यों का हस्ताक्षर से जारी की गयी है.
बहाली में घांधली की आशंका व्यक्त की गई थी
बताया जाता है कि इस पद पर बहाली के पूर्व कार्यपालक अभियंता सचिव के द्वारा धांधली बरते जाने की आशंका व्यक्त की गई थी. मामला सार्वजनिक भी हुआ था लेकिन उस पर कोई रोक नहीं लगी. परीक्षा में कुल 27 उम्मीदवारों ने भाग लिया. उम्मीदवारों का कहना है कि चयन समिति को दरकिनार कर सिर्फ कार्यपालक अभियंता के हस्ताक्षर से परीक्षा फल का प्रकाशन किया गया है, जो मनमानी का प्रमाण है.
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क्या सिर्फ कागजी है चयन समिति ?
आगे बताते चलें कि परीक्षा का विरोध आरंभ से ही किया जा रहा था एवं कमेटी गठित करने की मांग अभ्यर्थियों के द्वारा की जा रही थी. अभ्यर्थियों के दबाव के कारण चयन कमेटी का गठन तो हुआ लेकिन वह सिर्फ कागजी दिखाई पड़ता है. कई अभ्यर्थियों द्वारा जिला स्तर पर एक से अधिक पदों पर आवेदन किया गया लेकिन सचिव की मनमानी के कारण सभी पदों हेतु उक्त अभ्यर्थियों का साक्षात्कार एक साथ ही लिया गया. सभी पदों हेतु अलग-अलग साक्षात्कार के लिए अलग-अलग अंक प्रदान किया गया, जो इस चयन प्रक्रिया को चुनौती देने के समान है. कई अभ्यर्थियों का कहना है कि अंतिम मेधा सूची प्रकाशन में कमेटी का निर्णय ना होकर कार्यपालक अभियंता का एकल निर्णय है, जो अन्य जिलों के अनुरूप नहीं है और अभ्यर्थी इस मामले को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय में पीआईएल दाखिल करेंगे.
इस संबंध में क्या कहते हैं अधिकारी ?
कार्यपालक अभियंता सह सदस्य सचिव जिला जल जीवन मिशन जीतेंद्र कुजूर का कहना है कि अंतिम मेघा सूची उनके एकल हस्ताक्षर से जारी किया गया है, लेकिन कमिटी के अन्य सदस्यों का अनुमोदन प्राप्त है.