Ranchi : रांची के विभिन्न आदिवासी संगठन और उसके अगुवागण ने पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. रविवार को मोरहाबादी के चिल्ड्रेन पार्क में विभिन्न आदिवासी संगठनों की बैठक हुई. बैठक के बाद आयोजित एक पत्रकार वार्ता में इन्होंने बताया कि झारखंड में लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अदिवासी नाराज क्यों है. इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झारखंड दौरे को विफल बताया. उनके भाषण सुनकर आदिवासी संगठनों ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब अदिवासी मूलवासी लोगों को असली मुद्दों से भटकाने के लिए झूठ और घृणास्पद भाषण का सहारा ले रहे हैं.
स्थानीय नीति, सरना धर्म कोड, ओबीसी आरक्षण और स्थानीय नीति पर चुप क्यों हैं मोदी
बैठक में आदिवासी अगुवा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आदिवासियों की इतना ही चिंता थी, तो सरना धर्म कोड बिल, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण, 1932 खतियान पर आधारित स्थानीय नीति को विधानसभा में पारित कर राजभवन भेजा गया, उसे रोक क्यों दिया गया.
हसदेवा जंगल को नीलाम कर आदिवासियों को उजाड़ना चाहते हैं मोदी
अगुवा ने कहा कि आदिवासियों के डीलिस्टिंग के मुद्दे पर मोदी चुप क्यों रहे, हसदेव जंगल की नीलामी कर आदिवासियों को उजाड़ने पर क्यों नहीं कोई बयान दिए, मणिपुर पर चुप्पी क्यों, मध्यप्रदेश में हुए पेशाब कांड पर चुप क्यों रहे नरेंद्र मोदी, झूठ सच बोल कर झारखंड के भोली भाली जनता को अब मूर्ख नहीं बना सकते. हसदेवा की तरह अब झारखंड के जंगलों को भी मोदी उजाड़ना चाहते हैं.
महंगाई और बेरोजगारी पर क्यों नहीं बोलते मोदी : अजय तिर्की
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि झारखंड में आदिवासियों की कई समस्याएं हैं, जिनकी मांगे सालों से आदिवासी करते रहे हैं. आदिवासी सरना कोड, पेसा कानून, सीएनटी एक्ट से छेड़छाड पर रोक, आदिवासी के पलायन पर रोक लगे, ट्राइबल सब प्लान का पैसा सीधे ग्राम सभा को उपलब्ध कराया जाएगा. राज्य में ट्रैफिकिंग पर रोक लगाना छोड़ कर जुमले बाजी कर रहे हैं नरेंद्र मोदी. आज महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है, पर प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोल रहे हैं. वर्ष 2014 में जब गैस सिलिंडर का दाम चार सौ रुपये था, तब पूरे देश में आंदोलन कर रहे थे और अब दाम 11 सौ पहुंच गया है तो बोल नहीं रहे हैं. तिर्की ने कहा कि प्रधानमंत्री चाईबासा की सभा में झारखंड और कोल्हान के लिए कुछ नहीं बोले, पिछले दस साल में जो काम किया, उसे जनता को बताना चाहिए था.
पीएम मोदी बताएं अच्छे दिन कब आएंगे : प्रेमशाही मुंडा
आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जरा बता दीजिए अच्छे दिन कब आएंगे. हमारी आबादी 27 प्रतिशत से ज्यादा है. फिर भी आदिवासी पिछड़ा गरीब, मजदूर बना है. झारखंड में सबसे ज्यादा राज करने वाली पार्टी भाजपा ही रही, लेकिन आदिवासी दबा कुचला ही रहा. हम आज भी विस्थापन, जल-जंगल-ज़मीन पर कब्ज़ा, फ़र्जी मुक़दमेबाज़ी, मुठभेड़ और भुखमरी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं.
आदिवासियों की नहीं केवल अडाणी–अंबानी की फिक्र है : लक्ष्मी नारायण मुंडा
आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदिवासियों के हक अधिकार की बात नहीं करते. उनकी रक्षा की बात नहीं करते, पलायन पर रोक हो उस पर बात नहीं करते. गांव जंगल में रहने वाले आदिवासियों की दशा कैसे सुधरे वो बात प्रधानमंत्री नहीं करते. सिर्फ कैसे अपने अजीज मित्र अडाणी, अंबानी को आदिवासी की जमीन लूट कर दें, ये फिक्र करते रहते हैं.
2014 के सारे वादे क्या हुए मोदी जी : कुंदरसी
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की कुंदरसी मुंडा ने प्रधानमंत्री से सवाल करते हुए कहा कि 2014 में अच्छे दिन का वादा किया था, उसका क्या हुआ? दो करोड़ हर साल नौकरी, सस्ता पेट्रोल-डीजल और विदेशों से काला धन लाकर सभी को 15-15 लाख रुपये देने का वादा किया था, जो जुमला साबित हुआ. अब एक बार फिर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, पर झारखंड की जनता समझ चुकी है और इसका जवाब देने का मन आदिवासी मूलवासी ने बना लिया है.
हसदेवा जंगल पर क्यों नहीं बोलते पीएम : निरंजना
जय आदिवासी केंद्रीय परिषद की अध्यक्ष निरंजना हेरंज ने कहा कि मोदी सरकार जुमलेबाज सरकार है. हसदेव जंगल से हजारों आदिवासियों को उजाड़ने का काम किया है. कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों को नहीं उजाड़ा. लोहरा समाज के अध्यक्ष अभय लोहरा ने बताया कि बीते दस वर्षों से प्रधानमंत्री देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं, अब आदिवासी इनके जुमले को समझ चुकी है और झांसे में नहीं आने वाली है.
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