Vinit Upadhyay
Ranchi : झारखंड बार काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र कृष्ण, झारखंड सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन के बीच पिछले एक हफ्ते से पत्राचार चल रहा है. हाईकोर्ट के फेमस अधिवक्ताओं के बीच छिड़ी लड़ाई की वजह से कई अधिवक्ता अचंभित हैं. इस बीच जो मामला फिर से चर्चा में आ गया है, वह वर्ष 2011 का है. पूरे मामले को हम चार तथ्यों के साथ समझ सकते हैं.
तथ्य-01
04 सितंबरः महाधिवक्ता राजीव रंजन को लॉ के एक छात्र ने पत्र लिखा. पत्र में 2011 की घटनाओं का जिक्र करते हुए कई गंभीर सवाल उठाये गए हैं.
06 सितंबरः लॉ छात्र के पत्र के अलोक में महाधिवक्ता राजीव रंजन ने झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष को पत्र लिखकर पूर्व में अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण व अधिवक्ता ऋतु कुमार के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई के मामले में पूरी जानकारी देने को कहा है. बार काउंसिल को लिखे गए पत्र के माध्यम से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पूछा है कि DC अपील 12/2011 और DC अपील 13/ 2011 के मामले में फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई है या नहीं ? यदि अपील दायर नहीं की गई है तो क्यों ? इसका क्या कारण है ? उक्त बिंदुओं पर पूरी जानकारी एक सप्ताह में देने को कहा गया है. महाधिवक्ता ने यह भी कहा है कि एक सप्ताह के अंदर काउंसिल की ओर से जानकारी नहीं दिए जाने पर एडवोकेट एक्ट के तहत कार्रवाई के लिए आगे बढ़ेंगे.
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तथ्य- 02
09 सितंबरः झारखंड स्टेट बार काउंसिल चेयरमैन राजेंद्र कृष्ण को एक अज्ञात व्यक्ति का पत्र मिला. पत्र 06 सितंबर को लिखा गया है. पत्र में राज्य के महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की मांग की गई . पत्र में लिखा गया है कि महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता का आचरण कोर्ट के समक्ष अच्छा नहीं था और उनके द्वारा किया गया कृत्य वकालत के पेशे की गरिमा के अनुकूल नहीं है. पत्र लिखने वाले ने अपनी पहचान गुप्त रखते हुए पिछले दिनों झारखंड हाई कोर्ट में हुई एक सुनवाई के वाकये का जिक्र करते हुए उक्त दोनों अधिवक्ताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की मांग की है.
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तथ्य – 03
08 सितंबर को झारखंड स्टेट बार काउंसिल द्वारा एक पत्र जारी किया गया. जिसमें कहा गया है कि झारखंड स्टेट बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्य राजीव रंजन के महाधिवक्ता बनने के बाद काउंसिल के एक सदस्य का पद खाली हुआ है. काउंसिल ने उक्त पत्र के माध्यम से यह जानकारी दी है कि महाधिवक्ता अकेले दो पदों पर काबिज़ हैं इसलिए उनकी निर्वाचित सदस्य्ता को खत्म किया जा रहा है.
तथ्य-04
मधु कोड़ा प्रकरण में वर्ष 2011 में झारखंड हाईकोर्ट के दो अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण और ऋतु कुमार पर प्रोफेशनल मिस कंडक्ट का आरोप लगा था. इस मामले स्टेट बार काउंसिल ने दोनों अधिवक्ताओं का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट से दोनों अधिवक्ताओं का लाइसेंस बहाल किया गया. यह वही मामला है, जिसके बारे में विस्तृत जानकारी महाधिवक्ता द्वारा अब मांगी जा रही है. इस कारण यह मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है.
इस पूरे घटनाक्रम के बीच कई अधिवक्ता दबी जुबान से कह रहे हैं कि प्रकरण वकालत के पेशे की छवि को धूमिल करता हुआ नज़र आ रहा है. गड़े हुए मुर्दों को उखाड़ने से और एक दूसरे पर पत्र के माध्यम से छींटाकशी का फायदा कम और नुकसान ज्यादा होगा, क्योंकि मामला राज्य के चर्चित वकीलों का है.