Special Correspondent
Ranchi: पिछले दिनों बिहार जाने का मौका मिला. एक रिश्तेदार की शादी में. हमें पता है कि बिहार में शराबबंदी है. शराबबंदी कानून लागू है. शराब बेचने, पीते-पिलाते पकड़ाने पर जेल तय है. पर, यह उतना ही बड़ा झूठ है, जितना बड़ा झूठ गदहे के सिर पर सिंग देखने की बात करना है.
हम गया शहर में थे. लड़की की शादी थी. शाम से ही बारात आने का इंतजार हो रहा था. हम भी सड़क पर इधर-उधर घूम रहे थे. करीब 100 मीटर के दायरे में चार-पांच बैंक्वेट हॉल. लिहाजा सड़क के दोनों किनारे कारें पार्क थी. सड़क पर जाम की स्थिति. पुलिस के वाहन भी कई बार आते-जाते दिख जाते थे.
हमने पाया, सड़क के किनारे पार्क कारों में शायद ही ऐसी कोई कार हो, जिसमें शराब की बोतल, चखना के रुप में भूंजा, चिकन या पनीर चिल्ली, पानी की बोतल, प्लास्टिक का ग्लास और उसमें बैठे लोग मौजूद ना हो. किसी कार में दो, तो किसी कार में तीन-चार. सड़क किनारे लगे कारों में से करीब 80 प्रतिशत कारों में यही नाजारा.
पहले सुना था. कई लोगों ने बताया था बिहार में सिर्फ कहने को शराबबंदी है. अगर कांटैक्ट हो और जेब में पैसा हो तो हर ब्रांड की शराब उपलब्ध है. पर, इतना खुल्लम-खुल्ला. यह देखना पहली बार हो रहा था.
उन कारों में से कुछ जाने-पहचाने लोगों के भी थे. हमने थोड़ी दिलचस्पी दिखा कर पूछा- यहां तो सब उपलब्ध है. हर कार में एक ही नजारा है. एक ने बताया उपलब्ध सब है. हां आपके झारखंड से ज्यादा पैसे जरुर लग जाते हैं. पर, उपलब्ध सब है. हर शहर में. हर मुहल्ले में. यहां तक की गांव-गांव में. फोन लगाइये, ऑनलाइन पैसे भेजिये और बोतल मिल जायेगा. बोदका और रम से लेकर अच्छे से अच्छे ब्रांड की बोतलें.
ग्राहक तक शराब की बोतलें पहुंचाने के काम ने बिहार में एक अलग तरह का रोजगार पैदा किया है. स्कूटी-बाइक से शराब की बोतल डिलिवर कीजिये और प्रति बोतल के हिसाब से कमीशन के रूप में कमाई कीजिये. ग्राहकों को जो प्रति बोतल 1000-1500 रूपये ज्यादा देने पड़ते हैं, उसमें से 10-15 प्रतिशत तक डिलिवरी करने वाले को कमीशन के रुप में मिलता है.
शहर या गांव में कौन शराब पहुंचा रहा है, किसके पास स्टॉक रहता है, कौन डिलिवरी करता है, यह हर पीने वाले को पता होता है. जो लोग अक्सर दूसरे शहर में आते-जाते रहते हैं, उन्हें तो हर जिले के सप्लायर का नंबर पता होता है. सरकार और प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं हो यह संभव ही नहीं. ऐसा लगता है- सबको, सब पता है और सबने चुप रहने की कीमत वसूल कर ली है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हमने कई बार सुना है. शराबबंदी से होने वाले राजस्व के नुकसान के बारे में बोलते हुए. ठीक है सरकार को राजस्व का नुकसान जरुर हो रहा है, लेकिन शराब की बिक्री बिल्कुल नहीं रूकी है. हां, यह फर्क जरूर दिखता है कि लाइन होटलों में खुलेआम शराब पीता कोई नहीं दिखता. वैसे ऐसी जगहों के लिए भी चाहने वालों के पास जुगाड़ है.
बिहार में कहने को शराबबंदी है. सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ है. लेकिन इसके साथ ही ब्लैक मनी का एक समानांतर व्यवस्था कायम हो चुका है. थोड़ी मेहनत करने पर ही आपको हर शहर-गांव व बाजार में एक-दो ऐसे व्यक्ति के बारे में जानकारी मिल जायेगी, जो इस अवैध कारोबार को अपना कर पिछले 8-10 सालों में करोड़पति क्लब में शामिल हो गया है. कुछ लोग यह भी बताते हैं कि इस कारोबार से जुड़े लोगों में एक खास जाति का वर्चस्व है.
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