Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) धनबाद के कई गोपालक इस वर्ष पशुधन की खरीदारी के लिए सोनपुर मेला जाने की तैयारी में हैं. बिहार के सारण और वैशाली जिले की सीमा पर स्थित सोनपुर में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है. इस वर्ष यह मेला 6 नवंबर से 7 दिसंबर तक लगेगा. इस मेले के बारे में में कहा जाता है कि पहले यहां राजा-महाराजा या उनके मंत्री हाथी, घोड़ा खरीदने पहुंचते थे. हालांकि इधर कुछ वर्षों से मेले में जानवरों की तादाद कम हो गयी है. बावजूद देश के हर कोने से जानवरों की खरीद-बिक्री के लिए खरीदार व व्यापारी यहां आते हैं, जबकि मेला देखने भी लोग बड़ी संख्या में आते हैं.
बचपन से सोनपुर में कर रहे पशुओं की खरीदारी
गोपालक चंदेस यादव बताते हैं कि वह बचपन से सोनपुर मेला व आरा-बक्सर से जानवरों की खरीद बिक्री करता रहा है. इस वर्ष धनबाद से दर्जनों लोग इस मेला में जाने की तैयारी कर रहे हैं, जहां वे मन मुताबिक पशुओं की खरीदारी करेंगे. हालांकि पहले की अपेक्षा अब मेले में पशुओ की तादाद कम हो गयी है. इसीलिए अब गोपालक आरा या बक्सर जाने लगे हैं.
सोनपुर में पशुओं की कीमत भी कम, फायदा ज्यादा
विजय यादव के अनुसार सोनपुर मेले में अलग अलग नस्ल के पशु उपलब्ध होते हैं. उन पशुओं कद-काठी और दूध देने की क्षमता काफी अधिक होती है. पशुओं की कीमत 20 हज़ार से डेढ़ लाख तक होती है. उन्होंने बताया कि झारखंड की अपेक्षा सोनपुर या बिहार के आरा और बक्सर में पशुओं की कीमत 20 से 30 % कम होती है. कई बैंड बाजे वाले घोड़े की भी खरीदारी के लिए वहां जाते हैं.
गाढ़ा और मीठा होता है सोनपुर की गायों का दूध
छोटू यादव का मानना है कि वहां के मवेशियों का दूध काफी गाढ़ा और मीठा होता है. यहां के एक किलो दूध में 140 ग्राम छेना बनता है, तो वहां खरीदी गई गाय के एक किलो दूध में लगभग 200 ग्राम छेना निकलता है. मेले में यूं तो कई नस्लों की गाय उपलब्ध होती है. ज्यादातर पशुपालक साहेवाल नस्ल की गाय की खरीदारी करते हैं. इन गायों में औरों की अपेक्षा बीमारी भी कम होती है.
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