LagatarDesk : लोहड़ी का पर्व देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. कुछ जगहों पर लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता है. यह पर्व खासकर पंजाबी और सिख समुदाय के लोगों के लिए लोहड़ी का त्योहार विशेष महत्व रखता है. यह पर्व फसल की कटाई और नई फसल की बुवाई से भी जुड़ा होता है. इसलिए यह किसानों के नये साल के रूप में मनाया जाता है. पंजाब में लोहड़ी फसल काटने के दौरान मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि फसल काटने से घर में आमदनी बढ़ती है और खुशियां आती हैं. मान्यता है कि लोहड़ी के बाद से रात छोटी और दिन बड़ा हो जाता है. यानी ठंड धीरे-धीरे कम होने लगती है. लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है. लेकिन इस साल लोहड़ी की डेट को लेकर लोगों के बीच असमंजस की स्थिति है. (पढ़ें, जॉन अब्राहम ने फैंस का किया शुक्रिया, ‘पठान’ पर तोड़ी चुप्पी)
14 जनवरी को रात 8 बजकर 8 बजकर 57 मिनट है शुभ मुहूर्त
आपको बता दें कि इस बार लोहड़ी 13 जनवरी नहीं बल्कि 14 जनवरी को मनायी जायेगी. वहीं 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जायेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी को लोहड़ी की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 8 बजकर 57 मिनट में है. लोहड़ी के दिन आग में मूंगफली, तिल, गुड़, गजक और रेवड़ी चढ़ाने का रिवाज है. इसके बाद एक दूसरे के साथ यह सभी चीजें बांटते भी हैं. इस दिन रबी की फसल को आग में समर्पित कर सूर्य देव और अग्नि का आभार प्रकट किया जाता है. आज के दिन किसान फसल की उन्नति की कामना करते हैं.
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लोहड़ी पूजा करके बड़ों का लिया जाता है आर्शीवाद
लोहड़ी की पूजा पवित्र अग्नि के पास की जाती है. लोग घर के बाहर या किसी खुली जगह पर लोहड़ी की पवित्र अग्नि को जलाते हैं और इसमें मूंगफली, गजक, रेवड़ी, तिल, आदि डालकर इसकी परिक्रमा करते हैं. परिक्रमा पूरी करने के बाद बड़ों का आर्शीवाद लिया जाता है. इस दिन बच्चे घर-घर जाकर लोक गीत गाते हैं और उनको मिष्ठान और पैसे भी दिये जाते हैं. लोहड़ी में नये फसलों की भी पूजा की जाती है और अग्नि में नई फसल को अर्पित किया जाता है. इसके बाद सभी सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
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दुल्ला बट्टी की कहानी
लोहड़ी के दिन अलाव जलाकर उसके इर्द-गिर्द डांस किया जाता है. इसके साथ ही इस दिन आग के पास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है. लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व होता है. मान्यता है कि मुगल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स पंजाब में रहता था. उस समय कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी. कहते हैं तभी से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है.
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