लोहरदगा से कांग्रेस ने सात बार दर्ज की जीत
Ranchi : एक समय लोहरदगा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. वर्ष 1957 से 2019 तक हुए 15 चुनावों में कांग्रेस ने यहां सात बार जीत दर्ज की है. उरांव जनजाति बहुल इस लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस से कार्तिक उरांव, भाजपा से ललित उरांव जैसे दिग्गज नेता प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इस संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का इलाका लोहरदगा, रांची और गुमला जिला में फैला है. विधानसभाओं की बात करें तो पांच विधानसभा सीटें लोहरदगा, गुमला, बिशुनपुर, सिसई और मांडर है. जिसमें सभी पांचों सीट पर इंडिया गठबंधन का कब्जा है. हालांकि लोकसभा सीट पर मुख्य लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच ही देखने को मिलती रही है. वर्ष 1957 से 2019 तक हुए 15 चुनाव में कांग्रेस ने यहां सात बार जीत दर्ज की है. हालांकि, इन चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस को कांटे की टक्कर दी है. लोहरदगा में पिछले तीन लोकसभा चुनावों 2009, 2014 और 2019 में भाजपा ने जीत हासिल की है. इस बार इस सीट से भाजपा ने सुदर्शन भगत की जगह समीर उरांव को चुनाव मैदान में उतारा है.
1957 में अस्तित्व में आया लोहरदगा लोकसभा सीट
लोहरदगा संसदीय क्षेत्र 1957 में अस्तित्व में आया. पहले चुनाव में यहां से झारखंड पार्टी के इग्नी बेक ने जीत दर्ज की थी. झारखंड पार्टी को कुल 43.5 प्रतिशत वोट मिले थे. कांग्रेस को 30.30 % मत मिले थे. कांग्रेस ने जतम खरवार को उम्मीदवार बनाया था.
1962 के चुनाव में डेविड मुंजनी ने दर्ज की थी जीत
वर्ष 1962 के चुनाव में यहां से स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार डेविड मुंजनी ने जीत दर्ज की थी. इन्हें कुल 41.6 % वोट मिले थे. वहीं कार्तिक उरांव को 29.9 % वोट मिले, जबकि झारखंड पार्टी को 22.7 % वोट मिले थे.
दूसरी बार में कार्तिक उरांव को मिली जीत
वर्ष 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 1962 के अपने उम्मीदवार कार्तिक उरांव को फिर से टिकट दिया था. इस बार कार्तिक उरांव ने जीत दर्ज की. कांग्रेस को कुल 51.5 % वोट मिले, जबकि भारतीय जनसंघ की रूपना उरांव को 18 प्रतिशत वोट मिले थे.
1971 में फिर जीते कार्तिक उरांव
वर्ष 1971 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने कार्तिक उरांव पर फिर भरोसा जताया. कार्तिक उरांव ने भी कांग्रेस को निराश नहीं किया और भारी अंतर से जीत दर्ज की. कांग्रेस को कुल 53.5 % वोट मिले. जबकि भारतीय जनसंघ की रूपना उरांव को 18.85 प्रतिशत वोट मिले.
1977 में कार्तिक उरांव को लालू उरांव ने दी पटखनी
वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल ने लोहरदगा सीट पर कब्जा जमाया. भारतीय लोक दल के लालू उरांव ने कार्तिक उरांव को पटखनी दी. लालू को 54.9 % वोट मिले, जबकि कांग्रेस के कार्तिक उरांव को सिर्फ 49.5 प्रतिशत वोट मिले थे.
1980 में कांग्रेस ने फिर की दमदार वापसी
वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर लोहरदगा सीट पर दमदार वापसी की. कांग्रेस के कार्तिक उरांव ने इस बार 49.5 प्रतिशत वोट लाकर जीत दर्ज की. जनता पार्टी के करमा उरांव को 22.99 % वोट मिले. वहीं 1977 में यहां से जीत दर्ज करने वाले भारतीय लोक दल के लालू उरांव ने इस बार निराश किया.उन्हें सिर्फ 9.6 % ही वोट मिले.
फिर से जीती कांग्रेस
वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में लोहरदगा सीट पर फिर से कांग्रेस ने कब्जा किया. हालांकि, कांग्रेस ने एक बार फिर अपना उम्मीदवार बदला और सुमति उरांव को उम्मीदवार बनाया. इन्हें कुल 57.5 % वोट मिले थे. भाजपा के चुनाव लड़ने वाले ललित उरांव को 20.02 % और जनता पार्टी को 7.5 % वोट मिले थे.
1989 में सुमति ने फिर लहराया कांग्रेस का परचम
वर्ष 1989 में लोहरदगा सीट फिर से कांग्रेस के पास रही. यहां से सुमति उरांव ने जीत दर्ज की. सुमति को कुल 38.6 % मत मिले थे. जबकि भाजपा के ललित उरांव को कुल 28.4 % और जनता दल को 18 % वोट मिले थे.
1991 भाजपा ने दर्ज की दमदार जीत
वर्ष 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वापसी की. भाजपा के ललित उरांव कुल 36.4 % वोट लाकर जीत दर्ज की. जबकि कांग्रेस को इस बार 22.2 % वोट मिले. वहीं जनता दल को 16.4 % वोट को मिले थे.
ललित उरांव ने फिर भाजपा का लहराया परचम
वर्ष 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के कब्जे में रही. यहां से ललित उरांव ने जीत हासिल की. इस बार भाजपा को कुल 33 % वोट मिले. कांग्रेस ने यहां पर अपने उम्मीदवार को बदल दिया था. कांग्रेस ने इस बार बंदी उरांव को अपना उम्मीदवार बनाया था. इस बार कांग्रेस को कुल 24.6 % वोट मिले, जबकि जनता दल को 17.7 % और झामुमो को 14.8 % वोट मिले थे.
1998 में फिर जीती कांग्रेस
वर्ष 1998 में हुये लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर अपना उम्मीदवार बदला. इंद्रनाथ भगत ने कुल 44.5 % वोट के साथ जीत दर्ज की. जबकि भाजपा के ललित उरांव को 40.8 % वोट मिले थे.
भाजपा ने 1999 में जीत दर्ज की
वर्ष 1999 की हुये लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार बदल दिया और जीत हासिल की. इस बार भाजपा ने प्रो. दुखा भगत को अपना उम्मीदवार बनाया. भाजपा को कुल 44.2 % वोट यहां मिले. कांग्रेस के इंद्रनाथ भगत भी कांटे की टक्कर देकर मैदान में थे. उन्हें 43.2 % वोट मिले थे.
झारखंड में 2004 में हुए पहला लोकसभा चुनाव
बिहार-झारखंड बंटवारे के बाद झारखंड में 2004 हुए पहले लोकसभा चुनाव में लोहरदगा सीट कांग्रेस के खाते में गई. कांग्रेस ने रामेश्वर उरांव को अपना उम्मीदवार बनाया था. कांग्रेस को इस बार 47.2 % मत प्राप्त हुए थे, जबकि भाजपा ने अपने उम्मीदवार दुखा भगत पर ही भरोसा जताया था. मगर उन्हें निराशा हाथ लगी. दुखा मात्र 28.6 % वोट ही ला सके थे.
भाजपा ने 2009 में जीती सीट
बिहार-झारखंड बंटवारे के बाद झारखंड में 2009 में दूसरी बार लोकसभा चुनाव हुआ. इसमें भाजपा ने अपने उम्मीदवार को बदला. इस बार भाजपा ने सुदर्शन भगत को अपना उम्मीदवार बनाया. सुदर्शन भगत ने इस सीट पर कुल 27.7 % वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की. यहां निर्दलीय उम्मीदवार चमरा लिंडा ने 26.11 % वोट प्राप्त किए. कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को 24.8 % वोट मिले थे.
मोदी लहर का 2014 में दिखा असर
मोदी लहर में 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में लोहरदगा में फिर भाजपा ने जीत दर्ज की. भाजपा के सुदर्शन भगत को कुल 34.830 % मत प्राप्त हुए, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को 33.8 % वोट मिले थे. हालांकि, चमरा लिंडा इस बार ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े थे और उन्हें कुल 18.3 प्रतिशत वोट मिले थे.
2019 में भाजपा को फिर मिली जीत
वर्ष 2019 में इस सीट पर भाजपा के सुदर्शन भगत ने फिर जीत दर्ज की. लेकिन जीत का अंतर काफी कम था. भाजपा को 45.5 % वोट मिले थे. कांग्रेस ने उम्मीदवार का बदलाव करते हुए सुखदेव भगत को टिकट दिया था, जिन्हें 44.20 वोट मिले थे.
इसे भी पढ़ें : लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में भर्ती