- अब पारी बांध कर संचालक चला रहे बस
- एक चौथाई बसों का ही हो रहा परिचालन
Ranchi: सवारी नहीं मिलने से बस संचालकों के बुरे दिन चल रहे हैं. उन्हें लंबी दूरी की बसों के लिए पूरी सवारी नहीं मिल रही है. कम सवारी मिलने के कारण कम बसें चलायी जा रही हैं. इसके लिए रूट के सभी संचालक अब हर दिन नहीं बल्कि बारी-बारी से अपनी बसों को चला रहे हैं. सड़कों पर केवल एक चौथाई बसों का संचालन हो रहा है. जबकि तीन चौथाई से अधिक बसें खड़ी हो गई हैं.
स्टैंड से लेकर संचालकों के घर के पास अधिकांश बसें खड़ी हैं. संचालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में संचालकों ने फैसला किया है कि कम सवारी मिलने की स्थिति में रूट में बारी-बारी से बसों का परिचालन होगा. इससे सवारी तो मिलेगी ही साथ ही परिचालन होने वाले दिन संचालकों को हानि या नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा,
संचालकों ने यह तरीका केवल रांची में ही नहीं बल्कि अन्य शहरों में भी अपनाया है. जमशेदपुर, हजारीबाग, धनबाद आदि शहरों में इसी तर्ज पर संचालक अपनी बस चलाने का इंतजार कर रहे हैं.
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बस मालिकों के अनुसार कोरोना और ऑफ सीजन होने से ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. लोग कोरोना को लेकर ट्रेनों को तरजीह दे रहे हैं. कुछ किराया बढ़ने का भी मामला है. ट्रेन की तुलना में बसों का सफर काफी महंगा हो गया है.
केवल रांची से ही पटना समेत बिहार और अन्य राज्यों के लिए रोजाना 150 से 200 बसें खुलती हैं. सीवान, छपरा, दरभंगा, भागलपुर आदि के लिए कभी-कभी को 10 से 15 यात्री भी मिलना मुश्किल हो रहा है. इस कारण मौजूदा समय में चलनेवाली बसों की संख्या घटकर 35 से 40 बसों की हो गई हैं.
क्या कहते हैं बस ऑनर
रांची जिला बस ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष व संचालक कृष्णमोहन सिंह कहते हैं कि मौजूदा परिस्थिति में कोई दूसरा उपाय नहीं है. रूट पर सभी बसों के चलने से संचालकों को घाटा होगा. इसलिए यह युक्ति निकाली गई है. उन्होंने बताया कि स्वयं उनकी छह बसें उनके घर के पास खड़ी हैं. केवल दो बसें चल रही हैं. जमशेदपुर, हजारीबाग, धनबाद आदि शहरों से भी संचालक रूट के लिए एक एसी और एक नन एसी बस चला रहे हैं. जिसकी पारी होती है उस दिन उस संचालक की बसें रवाना होती हैं. उन्होंने बताया कि जो बसें खड़ी होती है उसके बीमा, टैक्स की रकम आदि का भी नुकसान होता है. इस बारे में सरकार को भी कोई उपाय निकालना चाहिए.
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