Virendra Rawat
Ranchi : शिक्षा ही एकमात्र ऐसी चीज है, जिससे लोगों का व्यक्तित्व निखरता है. बसंत पंचमी के दिन शिक्षा की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. आज बसंत पंचमी है और पूरे भारत में मां सरस्वती की पूजा अर्चना धूमधाम से विद्यार्थी कर रहे हैं. राजधानी रांची में भी पूजा को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. चौक -चौराहों से लेकर गली -मोहल्लों में विद्यार्थियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की गई है. साथ ही मां सरस्वती को भव्य पंडाल में रखा गया है. राजधानी रांची में कई प्रकार के पंडाल सजे हैं. पर राज्य भर में मां सरस्वती की मात्र एक मंदिर रांची में है, जहां एक सुर में पूजा के दौरान 3 नारे लगाये जाते हैं. इन तीनों का विशेष महत्व है. पहला नारा मां काली के लिए, दूसरा नारा मां लक्ष्मी के लिए और तीसरा नारा मां सरस्वती के लिए लगाया जाता है. ये तीनों नारे एक सुर में भक्त लगाते हैं और यहां रोजाना मंदिर में आरती के दौरान सुनने व देखने को मिलती है.
रांची पहाड़ी मंदिर परिसर में है मां त्रिशक्ति देवी मंदिर
मंदिर के पंडित अजीत मिश्रा ने बताया कि एक सुर में 3 नारे लगाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. दूरदराज से लोग यहां अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और एक सुर में 3 नारे लगाकर मां से सुख समृद्धि और अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं.
मान्यता यह है कि इस मंदिर में एक सुर में तीन नारे लगाने के बाद मांगी गई मन्नत पूरी होती है. मंदिर का नाम मां त्रिशक्ति देवी मंदिर है. यह मंदिर रांची के पहाड़ी मंदिर परिसर में मौजूद है. बसंत पंचमी के दिन सुबह से ही भक्तों की भीड़ मंदिर परिसर में लगी हुई है. भक्त मास्क पहनकर और हाथ जोड़कर मां सरस्वती से ज्ञान, सद्बुद्धि की मनोकामना कर रहे हैं.
मां सरस्वती की मूर्ति बीच में, मां काली और मां लक्ष्मी की मूर्ति अगल- बगल
झारखंडी नहीं पूरे भारत में एकमात्र मां सरस्वती की ऐसी मंदिर रांची के पहाड़ी मंदिर में है, जहां मां सरस्वती की प्रतिमा बीच में और दाएं मां काली और बाएं मां लक्ष्मी की मूर्ति है. मां सरस्वती की मूर्ति बीच में होने का क्या कारण है, इसकी जानकारी संस्था के संस्थापक सदस्य निशांत ने दी. बताया कि पहले मां सरस्वती की मूर्ति मंदिर में स्थापित की गई थी. फिर इसके बाद पुरोहितों से राय ली गई, जिसके बाद मां काली और मां लक्ष्मी की मूर्ति भी साथ में स्थापित की गई. बताया जाता है कि मां सरस्वती की अस्थायी मूर्ति स्थापित करने के लिए मां लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति साथ में स्थापित करना शुभ माना जाता है.
27 फरवरी 2020 को हुई थी मंदिर की स्थापना
मंदिर के संस्थापक सदस्य निशांत ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 27 फरवरी 2020 को कोरोना महामारी के बीच जब स्कूल बंद हो गई थी, तब की गई थी. इस मंदिर के चंदे के पैसे से स्कूल का निर्माण किया जाना है. झारखंड में मात्र एक मां सरस्वती की मंदिर होने से इस मंदिर की मान्यता और प्रचार-प्रसार पूरे देश भर में हो रहा है. रांची ही नहीं राज्य के अन्य जिलों से भी लोग यहां पूजा अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं.
आज अधिक भीड़
मधुकम निवासी आकांक्षा कुमारी ने बताया कि सुबह से मां सरस्वती की पूजा अर्चना पूरे हिंदू रीति-रिवाज और वैदिक मंत्र चारों व विधि- विधान के साथ की जा रही है. रांची में एकमात्र मां सरस्वती के मंदिर होने से आज अधिक भीड़ है.
अनोखा अनुभव होता है
आशना कुमार गुप्ता ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन बड़ी संख्या में लोग यहां जुटते हैं. अच्छी बात यह है कि मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ मां काली और मां लक्ष्मी के भी दर्शन होते हैं. यह बेहद अनोखा अनुभव होता है.
2 दिनों तक लगता है महाभोग
मंदिर के संस्थापक सदस्य निशांत ने बताया कि बसंत पंचमी के अवसर पर त्रिशक्ति मंदिर में विशेष पूजा अर्चना के साथ महाभोग का वितरण किया जाता है. सरस्वती पूजा के दिन फल- बुंदिया आदि के प्रसाद चढ़ाये जाते हैं. वहीं सरस्वती पूजा के दूसरे दिन भव्य भंडारा का आयोजन मंदिर परिसर में किया जाता है.
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