Lucknow : वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तारअंसारी को 36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. गाजीपुर में 36 साल पहले फर्जीवाड़ा कर शस्त्र लाइसेंस हासिल करने के मामले में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई. साथ ही अदालत ने इस मामले में दो लाख दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
मुख्तार अंसारी के वकील ने बताया कि वो उच्च न्यायालय में अपील करेंगे
इस मामले में पूर्व विधायक मुख्तारअंसारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 467/120B, 420/120, 468/120 और आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था. मुख्तार अंसारी के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने बताया कि वो एमपी एमएलए कोर्ट के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे. वाराणसी के एमपी एमएलए कोर्ट में जज अवनीश गौतम की अदालत ने माफिया मुख्तार अंसारी को 467/120B में उम्रकैद, 420/120 में 7 साल की सजा 50 हजार जुर्माना, 468/120 में 7 साल की सजा 50 हजार जुर्माना और आर्म्स एक्ट में 6 माह की सजा सुनाई है
मुख्तार अंसारी ने जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त की
खबरों के अनुसार अभियोजन पक्ष का मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप था कि दस जून 1987 को उसने दोनाली कारतूसी बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था. आरोप है कि मुख्तार अंसारी ने जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया था.
जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया. हालांकि मुकदमे की सुनवाई के क्रम में गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उनके विरुद्ध वाद अगस्त 2021 को मामला समाप्त कर दिया गया. इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन, पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत दस गवाहों के बयान दर्ज किये गये.