New Delhi : देश में माहौल बनाया जा रहा है कि यहां अद्वितीय विकास हो रहा है. दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की हो रही है. सिर्फ आर्थिक ही नहीं, जीवन के क्षेत्र में कीर्तिमान बनाए जा रहे हैं. लेकिन इन दावों के बीच भारत से हो रहा है ‘महापलायन’. हर रोज 350 भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बेरोजगारी और गरीबी से परेशान लोग ऐसा कर रहे हैं, बल्कि माहौल ऐसा है कि अरबपति भी भाग रहे हैं.
हर रोज 350 भारतीय देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं
लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि 1 जनवरी 2015 से 30 सितंबर 2021 के बीच करीब 9 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. इस आंकड़े के मुताबिक हर रोज करीब 350 भारतीय देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं. राय ने बताया कि विदेश मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के मुताबिक अभी कुल 1,33,83,718 भारतीय नागरिक विदेशों में रह रहे हैं. गृह राज्य मंत्री ने ये भी बताया था कि साल 2017 में 1,33,049 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी. 2018 में 1,34,561 वहीं, 2019 में 1,44,017, जबकि 2020 में 85,248 और 30 सितंबर, 2021 तक 1,11,287 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी थी. हाल ही में शिवसेना राज्यसभा सांसद प्रियंका चुतर्वेदी ने इस मुद्दे को सदन में जोरशोर से उठाया था.
इसे भी पढ़ें –आईपीएस श्रीकांत सुरेशराव खोत्रे बने राज्यपाल के परिसहाय
जाने वालों की पहली पसंद अमेरिका
भारत छोड़कर जाने वालों की पहली पसंद अमेरिका है. देश छोड़कर जाने वालों में 42 फीसदी लोगों ने अमेरिका की नागरिकता ली है. दूसरी पसंद कनाडा है, जहां की 2017 से 2021 के बीच 91 हजार भारतीयों ने नागरिकता अपनाई. तीसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया रहा, जहां 86,933 भारतीय 5 साल में नागरिक बन गए. उसके बाद इंग्लैंड में 66,193 और फिर 23,490 भारतीयों ने इटली की नागरिकता हासिल की.
करोड़पति और अरबपतियों की भी भारी तादाद
मॉर्गन स्टेनली बैंक ने साल 2018 में एक डेटा जारी किया था. जिसके मुताबिक साल 2014-18 के बीच 23,000 भारतीय करोड़पतियों ने देश छोड़ा था. वहीं, ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू की एक रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग 5,000 भारतीय करोड़पति अकेले साल 2020 में भारत छोड़कर विदेश चले गए.
गोल्डन वीजा के जरिए विदेशी नागरिकता ले रहे भारतीय अरबपति
दूसरे देशों की नागरिकता और वीजा दिलाने वाली ब्रिटेन स्थित अंतरराष्ट्रीय कंपनी हेनली ऐंड पार्टनर्स का कहना है कि गोल्डन वीजा यानी निवेश के जरिए किसी देश की नागरिकता चाहने वालों में भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हेनली ग्लोबल सिटिजंस रिपोर्ट के मुताबिक नागरिकता नियमों के बारे में पूछताछ करने वालों में 2020 के मुकाबले 2021 में भारतीयों की संख्या 54 फीसदी बढ़ी थी. वहीं, 2020 में भी साल 2019 के मुकाबले इस संख्या में 63 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.
इसे भी पढ़ें – लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप ने किया ऐलान, पिता से मिलकर राजद से दे दूंगा इस्तीफा