Mumbai : महाराष्ट्र में शिवसेना में जूतम पैजार जारी है. बता दें कि बागी मंत्री एकनाथ शिंदे ने उनके गुट के 15 अन्य बागी विधायकों को विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा भेजे गये अयोग्यता नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. याचिका में शिंदे ने डेप्युटी स्पीकर की कार्रवाई को गैर-कानूनी और असंवैधानिक करार देने और इस पर रोक लगाने की मांग की है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ इस पर सुनवाई करेगी.
पहली याचिका शिंदे और दूसरी याचिका विधायक भरत गोगावले ने दाखिल की है
एकनाथ शिंदे ने याचिका में कहा है कि डिप्टी स्पीकर सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. MVA सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए डिप्टी स्पीकर का दुरुपयोग करना जारी रख रही है ताकि वे किसी भी तरह से सत्ता में बने रहें. पहली याचिका शिंदे की है जो अयोग्यता की कार्यवाही को लेकर है जबकि दूसरी याचिका विधायक भरत गोगावले की और से दाखिल की गयी है. सूत्रों के अनुसार शिंदे गुट ने अपनी याचिका की प्रति पहले ही प्रतिवादी महाराष्ट्र सरकार के पास भेज दी है ताकि कोर्ट में नोटिस का समय बचे. सुप्रीम कोर्ट में सुबह साढ़े दस बजे ही अवकाशकालीन पीठ और रजिस्ट्रार के सामने अर्जेंट सुनवाई के लिए मेंशन किए जाने की उम्मीद है.
Eknath Shinde moves SC against disqualification notices to rebel Maharashtra MLAs
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— ANI Digital (@ani_digital) June 26, 2022
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राजनीतिक दलों और जानकारों की नजरें अब SC पर
खबर है कि एकनाथ शिंदे की ओर से हरीश साल्वे पैरवी करेंगे. शिवसेना की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी पक्ष रखेंगे. महाराष्ट्र सरकार की बात करें तो देवदत्त कामत उसका पक्ष रखेंगे. विधानसभा के डेप्युटी स्पीकर ने रवि शंकर जंध्याला को वकील नियुक्त किया है. महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने की मांग पर शनिवार को 16 बागी विधायकों को समन जारी किया था.
27 जून की शाम तक उनसे लिखित जवाब देने को कहा गया था. लेकिन रविवार को सुप्रीम कोर्ट में नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने पर मामला दिलचस्प हो गया. राजनीतिक दलों और जानकारों की नजरें अब SC पर टिक गयी हैं.
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दल-बदल कानून होगा लागू?
शिंदे ने महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्यों (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1986 के प्रावधानों के मनमाने और अवैध इस्तेमाल को चुनौती दी है. उन्होंने याचिका में कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के लिए विवश हैं. उनका कहना है कि विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के लिए शुरू की गयी प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) का पूरी तरह से उल्लंघन है.
याचिका में तर्क दिया गया है कि फरवरी 2021 में नाना पटोले के पद से इस्तीफा देने के बाद से अध्यक्ष की सीट खाली है और किसी अन्य के पास यह अधिकार नहीं है कि वह अयोग्यता याचिका पर निर्णय ले सके, जिसके तहत याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया है.