Mumbai : महाराष्ट्र के मंत्री NCP नेता नवाब मलिक की मुसीबत बढ़ती चली जा रही है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नवाब मलिक की तत्काल रिहाई वाली याचिका खारिज कर दी गयी. सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने कहा कि वह इस चरण में दखल नहीं देगा. कहा कि वे(नवाब मलिक) जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर सकते हैं.
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हम इस मामले में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं
न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि जांच के इस चरण में हम मामले में दखल देने के इच्छुक नहीं है हम इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. जान लें कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विशेष PMLA अदालत ने NCP नेता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक की न्यायिक हिरासत 6 मई तक बढ़ा दी है.
पीएमएलए अदालत ने अदालत की रजिस्ट्री से अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) के सत्यापन की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा है ताकि संज्ञान की प्रक्रिया हो और आरोपी को शिकायत की एक प्रति दी जा सके.
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कपिल सिब्बल ने कहा,ये PMLA केस नहीं बनता
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट की टिप्पणियां केवल इस तक सीमित हैं कि अंतरिम राहत दी जानी थी या नहीं. ये कानून में उपलब्ध उपचारों का सहारा लेने के रास्ते में नहीं आयेगा. नवाब मलिक की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें 2022 में कैसे गिरफ्तार किया गया, जब मामला 1999 का है? स्पेशल कोर्ट 5000 पेज की चार्जशीट के चलते जमानत नहीं देगा. पहली नजर में मेरे खिलाफ कोई केस नहीं बनता है. ये PMLA केस नहीं बनता.
मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट के याचिका खारिज करने के फैसले को चुनौती दी थी
जान लें कि नवाब मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट के याचिका खारिज करने के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट से तत्काल रिहाई की मांग की थी. मलिक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताया था. उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज प्रवर्तन निदेशालय ( ED) की कार्यवाही रद्द करने व तत्काल रिहा कि. जाने की मांग की थी.
हाईकोर्ट ने 15 मार्च को अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि सिर्फ इसलिए प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट ( PMLA) के तहत विशेष अदालत के उन्हें हिरासत में भेजने के आदेश को अवैध या गलत नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वह उनके पक्ष में नहीं है.
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