LagatarDesk : मकर संक्रांति का पर्व हर साल पौष माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार संक्रांति आज यानी 15 जनवरी को मनायी जा रही है. हिंदू धर्म में इस पर्व का बड़ा महत्व है. आज के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. मकर संक्रांति 14 जनवरी को रात 8 बजकर 43 मिनट पर शुरू हो चुकी है. मकर संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्त 15 जनवरी को सुबह 6 बजकर 47 मिनट शुरू होकर शाम 5 बजकर 40 मिनट पर होगा. वहीं महापुण्य काल सुबह 7 बजकर 15 मिनट से सुबह 9 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. पुण्यकाल और महापुण्यकाल में स्नान-दान करना शुभ होता है. (पढ़ें, आग और आशियाने, …और बन गया 5 लाख का इनामी, निशाना लगाओ, खेत पाओ, 22 घंटे जाम रही बड़कागांव की यह सड़क समेत कई खबरें पढ़ें अपने प्रिय अखबार शुभम संदेश में )
आज के दिन सूर्य और शनि देव का हुआ था मिलन
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. शनि मकर व कुंभ राशि के स्वामी हैं. इसलिए आज के दिन पिता-पुत्र का मिलन होता है. इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. जिसके बाद खरमास का समापन हो जाता है और शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. कुछ जगहों पर मकर संक्रांति को ‘खिचड़ी’ और ‘उत्तरायण’ के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा इसी दिन महाभारत के समय भीष्म पितामह ने सूर्य उत्तरायण होने पर ही अपने शरीर का त्याग किया था, इसी दिन उनका श्राद्ध कर्म तर्पण किया गया था. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने और दान करने का विशेष महत्व है.
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मकर संक्रांति की पूजन विधि
मकर संक्रांति के दिन प्रातः काल स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें. सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें. श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें. नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें. भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं. भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें. संध्या काल में अन्न का सेवन न करें. इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
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मकर संक्रांति पर इन चीजों का करें दान
मकर संक्रांति के दिन काले तिल और तिल से बनी चीजों को दान करने से पुण्य लाभ मिलता है. कहा जाता है कि काले तिल के दान से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा इस दिन नये अन्न, कंबल, घी, वस्त्र, चावल, दाल, सब्जी, नमक और खिचड़ी का दान करना सर्वोत्तम होता है. आज के दिन तेल का दान करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
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मकर संक्रांति कथा
मकर संक्रांति मनाने की कई तरह की पौराणिक मान्यताएं मानी जाती हैं. मान्यताओं के अनुसार आज के दिन सूर्य देव पिता अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते हैं. चूंकि मकर राशि शनि का घर है इसलिए भी इसे मकर संक्रांति कहते हैं. एक अन्य मान्यता के अनुसार महाभारत के समय भीष्म पितामह ने सूर्य उत्तरायण होने पर ही अपने शरीर का त्याग किया था. इसी दिन उनका श्राद्ध कर्म तर्पण किया गया था. एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए वर्षों की तपस्या करके गंगा जी को पृथ्वी पर आने को मजबूर कर दिया था. इसी दिन गंगा जी स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर अवतरित हुईं थीं. मकर संक्रांति पर ही महाराजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया था. उनके पीछे चलते-चलते गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में समा गयी थीं.
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