RANCHI: झारखंड से पलायन कर रोजगार की खोज में दूसरे प्रदेश जाना कोई नई बात नही है. हाल के वर्षीं में पढ़ी-लिखी लड़कियां भी रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेश जाने लगी हैं. कोरोना काल में हुये लॉकडाउन ने ऐसे लोगों को रोजगार से महरूम कर दिया था. यहां तक उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह अपना घर लौट सके. ऐसी ही कहानी रांची के मांडर प्रखंड के रहने वाली 26 वर्षीय प्रफुल्लित टोप्पो की है. श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता की पहल पर उसकी सकुशल घर वापसी संभव हो रहा है. उसे एर्नाकुलम से हवाई मार्ग से रांची लाया जा रहा है.
प्रफुल्लित के घर की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण 2018 के दिसंबर माह में अपने अभिभावक से अनुमति लेकर अपनी सहेली के साथ कोच्चि काम करने के लिए गई थी. इनके पिता का नाम नाथू टोप्पो है. उसे कंपनी में काम मिल गया था. वह कोच्ची के Abad Exim Pvt Ltd कंपनी में काम करती थी. यह कंपनी मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट फिसरी व फूड प्रोडक्ट का करती है.
इस कंपनी में काम करने वाली झारखंड की यह अकेली लड़की थी. कोरोना काल के दौरान हुये लॉकडाउन में कंपनी ने काम बंद करने के साथ कामगारों को वेतन भी देना बंद कर दिया था. वेतन न मिलने के कारण उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
मां के निधन होने पर भी कंपनी ने घर आने नहीं दिया था
प्रफुल्लित टोप्पो जिस कंपनी में कम करती थी उसमें उसे जबरन ओवरटाइम (12 – घंटे) कराया जाता था. लॉकडाउन के दौरान 16 अप्रैल 2020 को उसकी मां का देहांत हुआ इसके बाद भी उसे घर आने नहीं दिया गया. वह लगातार प्रयास करती रही. मां के देहांत के बाद से वह बहुत ज्यादा टेंशन में रहने लगी और तबीयत भी खराब होने लगा. इसके बाद भी उसे शाम के पांच बजे से सुबह के 6 बजे तक हर रोज काम करना पड़ रहा था. जिस कंपनी में वह काम करती थी उसके प्रबंधक से घर वापसी के लिए कई बार आग्रह भी किया. कंपनी ने मदद करना तो दूर दिसंबर वर्ष 2020 तक काम करने का फरमान जारी कर दिया. वह पूरे लॉकडाउन के दौरान कंपनी से गुहार और प्रयास करती रही, लेकिन कंपनी की ओर से घर वापस आने नहीं दिया गया.
श्रम विभाग के कंट्रोल रूम में भाई ने वापसी का किया था आग्रह
श्रम विभाग में फिया फाउंडेशन की ओर से संचालित कंट्रोल रूम में प्रफुल्लित टोप्पो के परिजनों का फोन लगातार आने लगा. उनके भाई पंचू टोप्पो ने झारखंड प्रवासी नियंत्रण कक्ष से प्रफुल्लित टोप्पो को एर्नाकुलम से वापस घर रांची लाने में मदद किया.
इसके बाद राज्य प्रवासी श्रमिक नियंत्रण कक्ष नेपाल हाउस रांची (कंट्रोल रूम) ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए श्रम मंत्री के विभाग को लिखित सूचना दी. श्रम मंत्री के संज्ञान में आते ही त्वरित कार्रवाई करते हुए मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने प्रफुल्लित टोप्पो को जल्द झारखंड अपने घर लाने की व्यवस्था कराई.
दबाव के बाद कंपनी से वापसी का मिला परमिशन
प्रफुल्लित कंपनी में बधुआ मजदूर की तरह काम कर रही थी. जब विभागीय मंत्री को इस बात की सूचना मिली विभाग तुरंत हरकत में आ गया. कंपनी को जब यह सूचना मिली की राज्य सरकार प्रफुल्लित टोप्पो के घर वापसी की व्यवस्था विभागीय मंत्री की पहल पर हो रही, तब जाकर कंपनी ने उसे झारखंड लौटने का परमिशन दिया. विभागीय मंत्री ने एर्नाकुलम से हवाई मार्ग के रास्ते सारी सुविधाओं के साथ झारखंड अपने घर लाने की व्यवस्था की. घर वापसी के इस प्रयास में सिविल सोसाइटी ने भी सहयोग किया.