New Delhi : त्रिपुरा में बीजेपी ने बिप्लब देब को हटाकर डॉ. माणिक साहा को नया मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है. बीजेपी विधायक दल की बैठक में डॉ. माणिक साहा के नाम पर मुहर लगाई गई. जिसके बाद अब उनके शपथ ग्रहण की तैयारी है. बताया गया है कि साहा कल यानी 15 मई को 11:30 बजे त्रिपुरा के नए सीएम के तौर पर शपथ लेंगे.
बैठक में सीएम पद को लेकर बहस
बता दें कि बिप्लब देब के राज्यपाल एसएन आर्य को अपना इस्तीफा सौंपे जाने के तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष साहा को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर एक बैठक में विधायक दल का नेता चुना गया. देब ने बैठक में जैसे ही 69 वर्षीय साहा के नाम का प्रस्ताव रखा, मंत्री राम प्रसाद पॉल ने इसका विरोध किया, जिससे विधायकों के बीच धक्कामुक्की हुई. सूत्रों ने कहा कि पॉल ने कुछ कुर्सियों को भी तोड़ दिया. उन्होंने कहा कि पॉल चाहते थे कि उपमुख्यमंत्री और त्रिपुरा के पूर्ववर्ती राजपरिवार के सदस्य जिष्णु देव वर्मा को राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया जाए.
मैं पार्टी का एक आम कार्यकर्ता हूं – साहा
बीजेपी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र यादव और विनोद तावड़े विधायक दल के नेता के चुनाव के पर्यवेक्षक थे. साहा ने खुद को मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद कहा, “मैं पार्टी का एक आम कार्यकर्ता हूं और आगे भी रहूंगा.”
6 साल पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे
त्रिपुरा के अगले मुख्यमंत्री बनने जा रहे डॉ. माणिक साहा 6 साल पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे और इतने जल्दी प्रभावशाली बनकर उभरेंगे, इसका अंदाजा राजनीतिक पंडित भी नहीं लगा पाए. बीजेपी में आते ही माणिक को दो साल बाद प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी बने. हाल ही में राज्यसभा के लिए भी मनोनीत किए गए और अब नए सीएम के लिए चुना गया है.
पेशे से डेंटिस्ट हैं माणिक साहा
डॉ. माणिक साहा अभी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. साहा को मुख्यमंत्री बनाने की वजह उनकी छवि और पार्टी में उनका प्रभाव बताया जा रहा है. मानिक साहा पेशे से डेंटिस्ट हैं और उनकी छवि बेहद साफ मानी जाती है. माणिक साहा 2016 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे.
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2020 से संगठन की कमान संभाल रहे
2018 में त्रिपुरा में बीजेपी विधानसभा चुनाव जीती और बिप्लब देब को मुख्यमंत्री बना दिया गया. तब प्रदेश अध्यक्ष की कमान बिप्लब देब संभाल रहे थे. उसके बाद 2020 में पार्टी हाईकमान ने माणिक साहा को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया. माणिक ने संगठन की बागडोर संभालते ही बूथ स्तर तक मजबूती देने का काम शुरू कर दिया. यही वजह है कि त्रिपुरा में बीजेपी की संगठनात्मक क्षमता काफी बढ़ी है.
खेमेबाजी से दूर हैं माणिक साहा
माणिक साहा त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी हैं. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक मानिक किसी भी खेमे के नहीं हैं और पार्टी में उन्हें न्यूट्रल माना जाता है. पिछले दिनों हुए चुनाव में भी बीजेपी की त्रिपुरा में जीत के पीछे माणिक की भूमिका अहम रही. जबकि बिप्लब देब के खिलाफ पार्टी के अंदरखाने में असंतोष था और बीजेपी ऐसी छवि के साथ चुनाव में नहीं जाना चाहती थी.
हाल ही में राज्यसभा सदस्य बनाए गए
कहा जा रहा है कि जब बीजेपी हाइकमान ने नए सीएम के लिए बिप्लब देब से नाम सुझाने को कहा तो उन्होंने प्राथमिकता के तौर पर माणिक साहा का नाम दिया था. हाल ही में बीजेपी ने डॉ. माणिक साहा को राज्यसभा सांसद भी बनाया है. इसके बाद से ही पार्टी संगठन में माणिक साहा का योगदान अहम होने लगा.
इस्तीफा देने के बाद क्या बोले बिप्लब देब?
बिप्लब देब ने इस्तीफा देने के बाद कहा, ‘‘पार्टी सबसे ऊपर है. मैं भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं. मुझे लगता है कि जो जिम्मेदारी दी गई, उसके साथ मैंने न्याय किया फिर चाहे राज्य भाजपा इकाई के अध्यक्ष का पद हो या त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी. मैंने त्रिपुरा के संपूर्ण विकास के लिए कार्य किया और सुनिश्चित किया कि राज्य के लोगों के लिए शांति हो.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘साल 2023 में चुनाव आ रहा है और पार्टी चाहती है कि जिम्मेदार संयोजक यहां प्रभार संभाले. सरकार तभी बन सकती है जब संगठन मजबूत हो.’’
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