Manoharpur (Ajay Singh) : चिरिया पंचायत के लोड़ो गांव का सबसे अतिपिछड़ा टोला माने जाने वाला टोला लिमतुर है. क्योंकि लोड़ो गांव टोला लिमतुर से होकर गुजरती कोयना नदी पर देश की आजादी के बाद भी पुल का निर्माण नहीं होना यहां के लोगों के लिए एक चिंता का विषय है. पुल निर्माण न होने के कारण बरसात के दिनों में नदी में बाढ़ आ जाने से यहां के रहने वाले लोगों का प्रखंड व जिला मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह से कट जाता है. आज भी यहां के लोग बत्त से बत्तर जिंदगी गुजारने पर मजबूर है.
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बारिश से पूर्व लोगों को दो से तीन महीनों का राशन करना पड़ता है जुगाड़
बरसात आने से पूर्व लोगों को दो से तीन महीनों का राशन का जुगाड़ करना पड़ता है. यहां के लोग बारिश के दौरान कोयना नदी में बाढ़ के चलते होने वाली दिक्कतों से परेशान हो चुके हैं. वहीं, टोले के 40 घर के करीब 300 लोगों को घरों में कैदियों की तरह रहकर जीवन गुजारना पड़ता है. बताया जा रहा है कि बाढ़ आने पर नदी का रूप विकराल हो जाता है. इससे टोला निवासियों का संपर्क नदी के उस पार वाले गांव, चिरिया व आसपास समेत प्रखंड मुख्यालय मनोहरपुर और जिला मुख्यालय से पूरी तरह से टूट जाता है.
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पुल निर्माण का मामला वर्षों से अधर में ही अटका
इस कोयना नदी में वर्षों से पुल के निर्माण के लिए आवाजें उठती रही है. लेकिन शायद इस आवाज की गूंज मनोहरपुर के विधायिका सह मंत्री जोबा माझी और सिंहभूम की सांसद गीता कोड़ा के कानों तक नहीं पहुंची है. इसके चलते ही कोयना नदी पर पुल निर्माण का मामला वर्षों से अधर में ही अटका हुआ है. पुल के न होने के कारण यदि टोले में किसी व्यक्ति की तबीयत खराब हो जाए तो उसके सामने मौत को गले लगाने के अलावा दूसरा कोई और रास्ता नहीं बचता, जो कुछ है नदी के इस पार ही है.
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टोला में न तो सांसद आती हैं और न ही क्षेत्रीय विधायिका
मालूम हो कि लिमतुर टोला इतना पिछड़ा है कि यहां न तो सांसद आती हैं और न ही क्षेत्रीय विधायिका सह मंत्री जोबा माझी. ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि लगता है की शायद लिमतुर टोला झारखंड के मानचित्र से बाहर है. तभी तो इस अतिपिछड़े टोले का सर्वांगीण विकास भी आज तक नहीं किया जा सका है. ग्रामीणों ने राज्य के हेमंत सरकार से कोयना नदी पर पुल का निर्माण जल्द कराने की मांग की है.
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