Washington : अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रूस, भारत, चीन और सऊदी अरब समेत कई देशों की सरकारें खुलेआम धार्मिक समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाती रही हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है जो दुनिया भर के देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति का दस्तावेजीकरण करती है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर वार्षिक रिपोर्ट 2022 जारी किये जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय के विशेष राजदूत रशद हुसैन ने यहां सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, कई सरकारों ने अपनी सीमाओं के भीतर धार्मिक समुदाय के सदस्यों को खुले तौर पर निशाना बनाना जारी रखा है. जानकारी के अनुसार यह रिपोर्ट दुनिया भर के लगभग 200 देशों और क्षेत्रों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति के बारे में एक तथ्य-आधारित, व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है.
ब्लिंकन ने अपनी टिप्पणियों में भारत का जिक्र नहीं किया.
ब्लिंकन ने कहा, इसका (रिपोर्ट) उद्देश्य उन क्षेत्रों को उजागर करना है जहां जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता का दमन किया जा रहा है और अंततः प्रगति को एक ऐसी दुनिया की ओर ले जाना है जहां धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता हर जगह हर किसी के लिए एक वास्तविकता हो. ब्लिंकन ने अपनी टिप्पणियों में भारत का जिक्र नहीं किया. हालांकि वार्षिक रिपोर्ट में भारत के संदर्भ वाला हिस्सा पूर्व के वर्षों के समान ही है.
म्यांमा में सैन्य प्रशासन रोहिंग्या आबादी को लगातार दबा रहा है
हुसैन ने धार्मिक समुदायों को खुले तौर पर निशाना बनाने वाली सरकारों के संदर्भ में रिपोर्ट के अहम निष्कर्षों में भारत का जिक्र किया है. हुसैन ने रूस के बाद चीन और अफगानिस्तान समेत उन कुछ देशों का जिक्र करते हुए कहा, भारत भर में विविध धार्मिक समुदाय से जुड़े कानून के हिमायती और धार्मिक नेताओं ने हरिद्वार शहर में मुस्लिमों के खिलाफ घोर नफरती भाषा के मामलों की निंदा की और देश का आह्वान किया कि उसके ऐतिहासिक बहुलवाद एवं सहिष्णुता की परंपरा को बनाये रखा जाये. बर्मा (म्यांमा) सैन्य प्रशासन रोहिंग्या आबादी को लगातार दबा रहा है जिससे कई लोग अपने घर छोड़कर पलायन कर गये हैं.
मुस्लिमों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाने का मामला
दस्तावेज के भारत खंड में कहा गया है कि इस वर्ष के दौरान कई राज्यों में धार्मिक अल्पसंख्यक सदस्यों के खिलाफ कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा हिंसा की कई रिपोर्ट सामने आयी, जिसमें गुजरात में सादी वर्दी में पुलिस द्वारा अक्टूबर में एक त्योहार के दौरान हिंदू उपासकों को घायल करने के आरोपी चार मुस्लिम पुरुषों को सार्वजनिक रूप से पीटने और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अप्रैल में खरगोन में सांप्रदायिक हिंसा के बाद मुस्लिमों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाने का मामला भी शामिल है.
गोकशी के लिए गैर-हिंदुओं की हत्या हिंदुत्व के खिलाफ है
रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम समुदाय के पांच प्रमुख सदस्यों से उनकी चिंताओं को सुनने और मुसलमानों और हिंदुओं के बीच सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के बारे में चर्चा करने के लिए मुलाकात की. रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भागवत ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि देश में हिंदुओं और मुस्लिमों के साथ धर्म के आधार पर अलग-अलग व्यवहार नहीं करना चाहिए और गोकशी के लिए गैर-हिंदुओं की हत्या हिंदुत्व के खिलाफ है. अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की अध्यक्ष नूरी तुर्केल ने बयान जारी कर कहा कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघनकर्ताओं को जवाबदेह ठहराने और वैश्विक धार्मिक स्वतंत्रता की स्थितियों में सुधार करने की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपकरण है.