NewDelhi : मोदी के शासन में देश के मुसलमान नाखुश हैं. इस नाखुशी के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं. मुसलमानों के लिए कांग्रेस या भाजपा कोई भी पार्टी बेहतर नहीं है. यह सब जमीयत उलेमा-ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक निजी चैनल से कहा. बता दें कि महमूद मदनी एबीपी न्यूज के कार्यक्रम प्रेस कांफ्रेंस में एंकर सुमित अवस्थी से रूबरू थे.
एंकर अवस्थी ने उनसे पूछा कि आपको क्या लगता है कि पीएम मोदी के शासन काल में मुसलमान पहले से खुश है या नाखुश? इसपर मदनी ने बिना देर लगाये किये कह दिया, मुसलमान नाखुश है. यह पूछे जाने पर कि क्या इसका जिम्मेदार आप पीएम को मानते हैं? तो मदनी का जवाब था, बिल्कुल, इसके जिम्मेदार वही हैं.
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अगर मैं शरीयत को नहीं मानता तो संविधान को भी नहीं मानता
इस सवाल पर कि देश संविधान से चलना चाहिए या शरीयत से? मदनी ने कहा, देश संविधान से चलना चाहिए और मैं शरीयत से चलूंगा. कहा कि संविधान को मानने के लिए किसी के डंडे ने नहीं बल्कि मेरी शरीयत ने विवश किया है, और मैं मानूंगा. अगर मैं शरीयत को नहीं मानता तो संविधान को भी नहीं मानता.
मजहब का इस्तेमाल किसी को तकलीफ पहुंचाने के लिए नहीं
असदुद्दीन ओवैसी के बारे में उनसे पूछा गया कि वे मुसलमानों के दुश्मन है या हितैषी? महमूद मदनी ने कहा, मैं उन्हें हितैषी ही समझूंगा, दुश्मन कैसे कहूं. हां कुछ मतभेद हैं. इस क्रम में मदनी ने कहा, जैसे आप अगर पूछें कि नरेंद्र मोदी साहब मुसलमानों के दुश्मन हैं या हितैषी हैं? तो मैं तो मोदी को मुसलमानों का दुश्मन कतई नहीं मानूंगा.
लाउडस्पीकर को लेकर रैपिड फायर राउंड में पूछा गया कि क्या मानते हैं कि उसकी आवाज मस्जिद के अंदर तक आनी चाहिए या फिर मोहल्ले भर में? मदनी ने कहा, यह लोगों की पसंद पर है. अगर पड़ोसियों को इससे ऐतराज है तो मस्जिद के अंदर तक ही आवाज रहनी चाहिए कहा कि मजहब का इस्तेमाल किसी को तकलीफ पहुंचाने के लिए नहीं होना चाहिए.