यीशु के अंतिम भोज की स्मृति में सभी गिरजाघरों में होती है विशेष आराधना
Ranchi : ख्रीस्तीय विश्वासी कलीसिया के पुण्य बृहस्पतिवार (माउंडी थर्सडे) के दिन सभी गिरजाघरों में विशेष आराधना होती है. यह आराधना यीशु मसीह के क्रूस में बलिदान होने से पूर्व अंतिम भोज की स्मृति में की जाती है. यह दिन यीशु ख्रीस्त के प्रेम और बलिदान की अमर गाथा की है. ख्रीस्तीय विश्वासी इस दिन माउंडी थर्सडे की महत्वपूर्ण घटनाओं को याद करते हैं. इसमें प्रमुख घटना है- पैर धोने की क्रिया. इस दिन यीशु ने अपने शिष्यों को आज्ञा दी कि “एक दूसरे को प्यार करो जैसे मैंने तुम्हें प्यार किया”. यीशु ने अपने शिष्यों के पैर धोकर प्रेम, नम्रता और सेवा का अद्भुत पाठ पढ़ाया. यीशु ख्रीस्त ने संदेश दिया कि सच्चे दिलवाले मानव की सेवा ही सबसे उत्तम सेवा है.
ऐसे हुई पवित्र पुरोहिताई की स्थापना
पवित्र यूखारिस्त (परम प्रसाद / प्रभुभोज ) की स्थापना यीशु ने अपने शरीर और रक्त को रोटी और दाखरस के रूप में अर्पित किया, जिसे प्रत्येक पुरोहित दैनिक और विशेषकर प्रत्येक रविवार को संपन्न करता है. इसे पवित्र मिस्सा या पवित्र यूखारिस्त के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है. प्रभु ने अपने शिष्यों को आज्ञा दी कि वे उनकी स्मृति में यह क्रिया करते रहें, जिससे पवित्र पुरोहिताई की स्थापना हुई.
इन गिरजाघरों में शाम में होगी पहली आराधना
मिली जानकारी के अनुसार, महागिरजाघर में सुबह 6 बजे वंदना की गयी. इसके बाद शाम 6 बजे पाप स्वीकार कर लोयला मैदान में धर्म विधि व पवित्र मिस्सा की जायेगी. वहीं रात 8 बजे से 12 बजे तक महागिरजाघर में पवित्र सक्रामेंत की आराधना होगी, जिसमें अलग-अलग टोला के लोग शामिल होंगे. सीएनआई का संत पॉल्स चर्च में गुरुवार को पवित्र प्रभु भोज संध्या 5.30 बजे होगा. जिसके अनुष्ठक बिशप बीबी बास्के होंगे. इम्मानुएल गिरजाघर में संध्या 5.30 बजे से पहली आराधना होगी, जिसके संचालक कंडीदत्त आलोक मिंज और उपदेशक बिशप एसएस र्तिकी होंगे. वहीं सामलोंग गिरजाघर में शाम 5.30 बजे पहली आराधना होगी. संचालक व उपदेशक रेव्ह. ए टेटे होंगे.
ख्रीस्त गिरजाघर और एनडब्ल्यू चर्च में हुई आराधना
जीईएल का ख्रीस्त गिरजाघर और इम्मानुएल गिरजाघर में गुरुवार को संध्या चार बजे पहली आराधना हुई. जिसका संचालन रेव्ह. बी तोपनो और रेव्ह. एन गुडिया ने किया. वहीं उपदेशक रेव्ह. एजे भेंगरा और प्रभुभोज अनुष्ठक रेव्ह एम बिलुंग थे. एनडब्ल्यू चर्च में गुरुवार को प्रभु-भोज अनुष्ठान दोपहर 2.30 बजे किया गया. इसका संचालक रेव्ह सलमोन एक्का, उपदेशक बिशप निस्तार कुजूर, सहायक रेव्ह. शशि मिंज और रेव्ह. यीशु नासरी ने किया.
फादर सुशील टोप्पो का संदेश
पवित्र बृहस्पतिवार ख्रीस्तीय विश्वासियों के लिए एक पवित्र दिन होता है. इस दिन को वे प्रभु यीशु के अंतिम भोज की पावन स्मृति को मनाते हैं. इस दिन प्रार्थना और धर्मविधि के केंद्र में तीन महत्वपूर्ण घटनाएं होती हैं, जो यीशु ने अपनी मृत्यु के एक दिन पूर्व संपन्न की थीं. ये घटनाएं न केवल हमारे हृदय को छूती हैं, बल्कि हमारे जीवन को भी गहराई से प्रभावित करती हैं. आनंद – प्रभु ने पवित्र यूखारिस्त की स्थापना की, जिसके माध्यम से यीशु ने खुद को मानव जाति के लिए दे दिया. दुख- पवित्र यूखारिस्त की स्थापना के बाद यीशु ने कलवारी पर अपनी बलि चढ़ा दी, जिससे हर पवित्र यूखारिस्त ख्रीस्त के क्रूस का बलिदान बन गया. यही वजह है कि सभी ख्रीस्तीय के जीवन में मिस्सा पूजा का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है. कैथोलिक कलीसिया की शिक्षा भी यही है कि ‘पवित्र यूखारिस्त सभी ख्रीस्तीय जीवन का स्रोत और शिखर है.’ जब भी ख्रीस्त विश्वासी मिस्सा बलिदान में भाग लेते हैं, वे यीशु ख्रीस्त के अथाह प्रेम, क्षमा, और उनके महान बलिदान को याद करते हैं और अपने अध्यात्मिक जीवन को और अधिक सुंदर और मजबूत बनाते हैं.