Pravin Kumar
Ranchi: राज्यसभा चुनाव का शंखनाथ हो चुका है. ऐसे में झारखंड भाजपा में उम्मीदवारी को लेकर रस्साकसी जारी है. दिलचस्प बात यह है कि इस बार जो चर्चा सामने आ रही है, उसमें उरांव उम्मीदवारों से दूरी बनाई जा रही है. पार्टी में हाल के वर्षों में आशा लकड़ा का कद काफी बढ़ा है. भाजपा के अंदरखाने में उरांव जनजाति से आनेवाली आशा लकड़ा को समीर उरांव की जगह उच्च सदन (राज्यसभा) भेजने के मुद्दे पर चर्चा हो रही थी. राज्यसभा के लिए उनकी दावेदारी प्रबल बतायी जा रही थी. लेकिन इससे पहले भी उरांव जनजाति से ही समीर उरांव को राज्यसभा भेजा गया था. ऐसे में पार्टी में हो और संताली नेताओं का टीस भी उभर कर सामने आने लगी है. हालांकि खुल कर कोई कुछ बोल तो नहीं रहा है, लेकिन सवाल उठने लगा कि आखिर हर बार उरांव जनजाति से ही उम्मीदवार क्यों? हो या संथाल नेता के नाम पर क्यों नहीं हो रही चर्चा.
बताते चलें कि झारखंड में राज्यसभा चुनाव 27 मार्च को है. भाजपा की तरफ से उम्मीदवार कौन होगा, इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. अलग-अलग नामों की चर्चा है. इस बीच एक उच्चपदस्थ सूत्र ने दावा किया है कि अगर झारखंड में आदिवासी समुदाय से उम्मीदवार बनाना है, तो इस बार उरांव जाति से दूरी बनायी जा सकती है. इस बार पार्टी हो या संथाल आदिवासी नेता को उम्मीदवार बना सकती है. जानकारी के मुताबिक, अभी तक आशा लकड़ा के नाम की चर्चा ज्यादा हो रही थी, लेकिन बदली परिस्थितियों में उन्हें दूसरी जगह एडजस्ट करने पर चर्चा हो रही है.
सूत्रों ने बताया है कि आशा लकड़ा को केंद्र सरकार में कहीं किसी पद पर फिट करने पर विचार किया जा रहा है. कल्याण विभाग में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त किसी पद पर उन्हें रखे जाने की बात चल रही है. पार्टी के अंदरखाने जो चर्चा है, उसके मुताबिक गीता कोड़ा को पार्टी में शामिल कर चाईबासा से प्रत्याशी बनाने के बाद हो जनजाति के पार्टी नेताओं में एक टीस है. अगर उसी इलाके से किसी हो जनजाति के नेता को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया जाता है, तो इस टीस को खत्म किया जा सकेगा. ऐसे में बड़कुंवर गगराई व जेबी तुबिद के नाम पर विचार किया जा रहा है. संथाल परगना से भी किसी भाजपा नेता का नाम सामने लाकर भी भाजपा चौंका सकती है. ऐसे में लुईस मरांडी भी बाजी मार सकती हैं.