Ranchi : झारखंड राज्य के करीब 20 साल पूरे होने को हैं. इस बीच राज्य में कई अर्ध-न्यायिक निकायों का गठन किया गया. इनके गठन का उद्देश्य था, आम लोगों को राहत मिल सके. लेकिन आज इन निकायों की स्थिति काफी लचर है. ऐसे निकायों में राज्य और जिला उपभोक्ता फोरम, राज्य महिला आयोग, झारखंड एजुकेशन ट्रिब्यूनल, झारखंड राज्य उपभोक्ता सुरक्षा काउंसिल प्रमुखता से शामिल हैं. राज्य का शायद ही कोई अधिकारी यह कहने की स्थिति में हैं कि आखिर उपरोक्त सभी अर्ध न्यायिक निकायों का कब सुचारू रूप से संचालन हो सकेगा.
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जिला और राज्य उपभोक्ता मंच आयोग में करीब 40 से अधिक मामले दर्ज हैं
आंकड़ों को देखें तो जिला और राज्य उपभोक्ता मंच आयोग में अभी करीब 40 से अधिक मामले दर्ज हैं. लेकिन निकाय का सही तरीके से संचालित नहीं हो रहा है. सदस्यों की कमी है. इससे दर्ज मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही हैं. बता दें कि उपभोक्ता मंच का गठन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत किया गया था, लेकिन आज उपभोक्ता विवाद के लिए बनायी गयी प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है. अगर रांची की बात करें, तो जिला फोरम विगत 30 जून 2018 से नहीं काम नहीं कर रहा है.
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राज्य महिला आयोग की हालत पर चिंता
राज्य महिला आयोग की बात करें, तो पूर्व अध्यक्ष कल्याणी शरण ने आयोग की स्थिति पर चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि बीते छह जून 2020 को अन्य सदस्यों के साथ उन्होंने आयोग का कार्यकाल पूरा किया था. लेकिन आज महिलाओं के मुद्दों को हल करने वाला आयोग को कोई देखने वाला नहीं हैं. भगवान ही जाने, महिला आयोग कब सही तरीके से काम करेगा.
झारखंड एजुकेशन ट्रिब्यूनल का हाल
झारखंड एजुकेशन ट्रिब्यूनल का गठन शिक्षण संस्थानों के विवादों को निपटाने के लिए की गई थी. लेकिन आज यह सदस्य विहीन है. किसी तरह से इसे केवल एक अध्यक्ष द्वारा चलाया जा रहा हैं. सदस्यों के नहीं रहने से आज यह ट्रिब्यूनल उद्देश्यहीन होकर रह गया है.
वहीं झारखंड राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद की बात करें, तो अभी भी इसमें सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया जारी हैं. सदस्यों की नियुक्ति के लिए पिछले महीने ही एक विज्ञापन जारी किया गया था. अभी नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है.