साढ़े 36 करोड़ की लागत से मेराल में बनेगा सर्व सुविधा युक्त डिग्री कॉलेज, राज्य कैबिनेट ने दी स्वीकृति
अपने क्षेत्र में ही मिलेगी बेहतर सुविधा
Garhwa: गढ़वा के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए अब दूरदराज भटकना नहीं पड़ेगा. विद्यार्थियों को अपने-अपने क्षेत्र में ही उच्च शिक्षा की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. इसके तहत गढ़वा ज़िला अंतर्गत मेराल प्रखंड के लातदाग में एक बहुमंज़िला एवं सर्वसुविधा युक्त डिग्री कॉलेज का निर्माण किया जाएगा. राज्य कैबिनेट ने इसकी स्वीकृति प्रदान कर दी है. यह कॉलेज 36.5 करोड़ रुपए की लागत से झारखंड भवन निर्माण निगम द्वारा बनाया जाएगा. निविदा की प्रक्रिया पूर्ण कर शीघ्र ही इसका कार्य प्रारंभ होगा. इसकी जानकारी देते हुए गढ़वा विधायक झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता व उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने बताया कि यह डिग्री कॉलेज चार मंज़िला होगा. जिसमें लगभग 1.5 लाख स्क्वायर फीट में प्रशासनिक भवन एवं कॉलेज होंगे. कॉलेज में लाइब्रेरी, डिस्कशन हॉल, इंडोर स्पोर्ट्स एरीना, लेबोरेट्री, कंप्यूटर लैब, सेमिनार हॉल, ओपन एयर थियेटर, स्टडी लाउंज, कैंटीन, स्टूडेंट लाउंज, डिजिटल लाइब्रेरी, लिफ्ट आदि की बेहतर सुविधा होगी.
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अब उच्च शिक्षा के लिए भटकेंगे नहीं गढ़वा के विद्यार्थी : मंत्री
मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि इसमें प्रिंसिपल क्वार्टर के साथ साथ स्टाफ क्वार्टर का भी प्रावधान इसके कैंपस में ही किया गया है. पूरा कॉलेज सीसीटीवी के दायरे में होगा. हर फ्लोर लगभग 40 हज़ार स्क्वायर फीट का होगा. इसमें साइंस, आर्ट्स एवं कॉमर्स तीनों स्ट्रीम की पढ़ाई होगी. उन्होंने कहा कि यह कॉलेज मेराल प्रखंड के विद्यार्थियों की शिक्षा में मील का एक पत्थर साबित होगा. अब यहां के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. अपने क्षेत्र में अपने गांव के नजदीक ही बेहतर उच्च शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सुविधा होगी. उन्होंने कहा कि रंका में डिग्री कॉलेज का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. मंत्री श्री ठाकुर ने कहा कि गढ़वा वासियों के प्यार, आशीर्वाद एवं स्नेह से ही गढ़वा में ऐसे ऐतिहासिक कार्य हो रहे हैं. इन कार्यों को वर्षों पहले हो जाना चाहिए था, परंतु जनप्रतिनिधियों की उदासीनता या उनकी अदूरदर्शिता हमारे विकास में बाधा बनी. अब हमें आगे निकलना है. मीलों लंबा रास्ता तय करना है. रास्ता दुरूह ज़रूर है पर संकल्प अडिग है. हम सफलता की शिखर पर जरूर पहुंचेंगे.
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