NewDelhi : इस साल यानी 2022 में समय से पहले दक्षिण-पश्चिम मानसून देश पर मेहरबान होने जा रहा है. खबर है कि इस बार चार दिन पहले 26 मई को मानसून के केरल पहुंचने की संभावना है. जानकारी के अनुसार अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में 15 मई को मौसम की पहली बारिश होने की उम्मीद है. मानसून को लेकर भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के डीजी मृत्युंजय मोहपात्रा ने जानकारी दी कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के 15 मई के आसपास दक्षिण अंडमान सागर और निकटवर्ती दक्षिणपूर्वी खाड़ी में पहुंचने की संभावना है.
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मानसून के समय से पहले केरल में दस्तक देने के संकेत
मौसम विज्ञानियों के अनुसार पूर्वानुमानों में लगातार मानसून के समय से पहले केरल में दस्तक देने और उत्तर की तरफ बढ़ने के संकेत नजर आ रहे हैं. इससे देश के अधिकतर हिस्सों में लोगों को राहत मिलेगी जो पिछले 15 दिनों से भीषण गर्मी का कहर झेल रहे हैं. जान लें कि सामान्य रूप से 15 मई तक मानसून निकोबार में ही पहुंचता है और 22 मई तक अंडमान के उत्तरी इलाके मेयाबुंदर पर छा जाता है.
आईएमडी ने अगले पांच दिनों में अंडमान निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश होने का अनुमान जताया है. इस क्रम में 14 से 16 मई के दौरान कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है. 15 और 16 मई को दक्षिण अंडमान सागर में हवा 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है. साथ ही 26 मई को मानसून के केरल पहुंचने की उम्मीद है. सामान्य रूप से केरल में मानसून का एक जून को पहुंचता है. साइक्लोन असानी के चलते दो दिन से केरल में बारिश भी हो रही है.
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मप्र में 16 मई से प्री-मानसून
खबर है कि बंगाल की खाड़ी में आये असानी साइक्लोन की वजह से 16 मई से मध्यप्रदेश में भी प्री-मानसून दस्तक दे सकता है. इस बार मानसून भोपाल, इंदौर, नर्मदापुरम और उज्जैन संभागों में ज्यादा मेहरबान रहेगा. जबलपुर और सागर संभाग में यह सामान्य रहेगा.
70 फीसदी बारिश दक्षिण पश्चिम मानसून से
मानसून केरल से शुरु होकर धीरे-धीरे पूरे देश में फैल जाता है. इससे देश में कुल बारिश का 70 फीसदी दक्षिण पश्चिम मानसून से ही होती है. भारत में रबी फसलों का आधा इसी मानसून पर निर्भर है. बता दें कि देश में 40 फीसदी किसान सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर हैं. खरीफ की फसलें चावल, कपास, गन्ना, मसूर, चना और सरसों का उत्पादन करने वाले किसान इसी मानसून पर निर्भर रहते हैं. इससे पूर्व मौसम विभाग देश में लगातार चौथे साल मानसून के सामान्य रहने की बात कह चुका है.