Ranchi: 16 करोड़ जमा नहीं करने पर मिड डे मील घोटाले के आरोपी संजय तिवारी ने मंगलवार को पीएमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया. बताते चलें कि पिछले महीने एसबीआई की हटिया शाखा में झारखंड राज्य मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के खाते से 101 करोड़ रुपये फर्जी हस्तांतरण मामले के मास्टरमाइंड संजय तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी थी. जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने 16.35 करोड़ रुपये जमा करने की शर्त पर उसे चार सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी. संजय तिवारी के द्वारा 16.35 करोड़ रुपये जमा नहीं कराया गया. जिसके बाद उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया.
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ईडी ने दर्ज किया एक और ईसीआईआर
ईडी ने संजय तिवारी के खिलाफ एक और ईसीआईआर दर्ज किया है. ईडी ने बीते 18 जनवरी को रांची के अरगोड़ा थाने में दर्ज मामले को टेकओवर किया है. संजय तिवारी के खिलाफ अरगोड़ा थाने में जालसाजी से संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज हो गई थी. यह प्राथमिकी ईडी की अनुशंसा के आधार पर दर्ज की गई थी. संजय तिवारी के ठिकाने से जब्त पांच एसयूवी गाड़ियों का रजिस्टर्ड नंबर फर्जी पाए जाने के बाद ईडी ने अरगोड़ा थाने में लिखित शिकायत की थी. ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय रांची के सहायक निदेशक विनोद कुमार की शिकायत पर अरगोड़ा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. ईडी की जांच में यह बात सामने आई थी की उसने पांच लग्जरी गाड़ियों में फर्जी रजिस्टर्ड नंबर लगवा रखा था.
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क्या है मामला
दरअसल, मिड डे मील के लिए स्टेट बैंक ऑफ हटिया शाखा में पांच अगस्त 2017 को रखे गए शिक्षा विभाग के करीब 101 करोड़ रुपए बिल्डर भानु कंस्ट्रक्शन के पार्टनर संजय तिवारी के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए थे. इसमें मैनेजर अजय उरांव की संलिप्तता बताई गई थी. मिड डे मील की यह रकम भानु कंस्ट्रक्शन के विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए थे. बिल्डर इनमें से 50 करोड़ रुपए निकालकर फरार हो गया था. मामला प्रकाश में आने के बाद एसबीआई ने खुद पैसा भरा, जिससे बैंक को नुकसान हुआ था. बैंक मैनेजर को सस्पेंड कर दिया गया. सीबीआई ने सात दिसंबर 2017 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी. इसके बाद पूरे मामले की छानबीन शुरू की थी.