- सरना स्थलों का होगा विकास, सौंदर्यीकरण के साथ सुविधाएं भी बढ़ेगी
- राज्य के बदहाल छात्रावासों का जल्द होगा कायाकल्प
- मंत्री चंपई सोरेन ने विधानसभा में की घोषणा
Ranchi: झारखंड के सभी प्रमंडल में ओबीसी और अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए एक-एक आवासीय विद्यालय खोले जायेंगे. मंत्री चम्पई सोरेन ने यह घोषणा विधानसभा में की. अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण और परिवहन विभाग के बजट पर बहस के बाद उन्होंने यह घोषणा की. मंत्री ने यह भी कहा कि पिछली सरकार ने सरना और दूसरे धार्मिक स्थलों की घेराबंदी की थी, लेकिन हेमंत सरकार सरना स्थलों का सौंदर्यीकरण करेगी. वहां सरना भवन बनाये जायेंगे. पानी, बिजली और दूसरी सुविधाएं दी जाएगी. सरना स्थलों में आकर्षक गेट भी लगेंगे. उन्होंने कहा कि शहीद ग्राम योजना में पिछली सरकार ने आधा-अधूरा काम किया, लेकिन हेमंत सरकार इस योजना के तहत शहीद ग्राम के हर समुदाय के लोगों को लाभ पहुंचाने का काम करेगी. राज्य के बदहाल छात्रावासों की स्थिति भी सुधारने की मंत्री ने बात कही.
लाठियां-गोलियां चलाने वालों के साथ मिलकर क्यों चला रहे सरकार- बाउरी
विधानसभा में विधायक अमर बाउरी ने कहा कि जेएमएम अलग झारखंड राज्य बनाने का श्रेय लेता है. जेएमएम कहता है कि अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलनकारियों ने लाठियां-गोलियां खाई, लेकिन जेएमएम बताए लाठियां और गोलियां चलाने वाले कौन लोग थे. उस वक्त केंद्र में किसकी सरकार थी. जो लोग कहते थे कि उनकी लाश पर झारखंड बनेगी और उन्हीं के साथ मिलकर जेएमएम सरकार चला रही है. बाउरी ने कहा कि सदन में 28 विधायक एसटी और 9 विधायक एससी हैं, लेकिन राज्य में इन दोनों समुदाय की स्थिति खराब है.
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सरकारी नौकरियों में एसटी परिवार के 3.9 और एससी परिवार के सिर्फ 5.8 फीसदी लोग हैं.10 हजार रुपये से ज्यादा आमदनी वाली नौकरियों में एसटी 5.14 और एससी 6.38 फीसदी हैं.वहीं पाकुड में 25 फीसदी और साहेबगंज में 30 फीसदी लोग एक कमरे वाले कच्चे मकान में रहते हैं. हर योजना में सरकार की असंवेदनशीलता दिख रही है.
अपनी ही जमीन पर प्रवासी बन गये हैं झारखंड के अदिवासी- लोबिन
विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि बीजेपी की सरकार ने आदिवासियों-मूलवासियों को उनकी जमीनों से बेदखल करने के लिए सीएनटी-एसपीटी एक्ट में छेड़छाड़ किया. आज आदिवासी अपनी ही जमीन पर प्रवासी बना हुआ है. नियोजन नीति बनाकर स्थानीय नौकरियों में बाहरी लोगों के लिए रास्ता खोल दिया. राज्य में एक भी छात्रावास की स्थिति ठीक नहीं है. वहां पानी, बिजली और शौचालय की सुविधाएं तक नहीं है. इन लोगों ने सब कुछ खराब कर रखा है.
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हर साल 3000 लोगों की सड़क हादसे में होती है मौत- प्रदीप
प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार की पशुधन विकास योजना में थोड़ी सुधार करने की जरूरत है. पशु देने वाली एजेंसी ठंडे प्रदेशों से पशु-पक्षियों को लाती है. यहां लाभुक के मिलने के बाद वे पशु-पक्षी मर जाते हैं. राज्य में ओवरलोडिंग पर उन्होंने सवाल उठाये. विधायक ने कहा कि एगर ओवरलोडिंग बंद हो जाए तो 3 गुणा ज्यादा राजस्व वसूल होगा. सड़क सुरक्षा पर उन्होंने कहा कि कोरोना से 1000 लोगों के मरने की खबर से हड़कंप मच गया, लेकिन सड़क हादसे में हर साल झारखंड में 3 हजार से ज्यादा लोग मारे जाते हैं. 2014 में राज्य में 2,630 लोग सड़क हादसे में मारे गये. 2015 में 2,890, 2016 में 2,330, 2017 में 3,260, 2018 में 3,540 और 2019 में 3,500 लोग सड़क हादसे में मारे गये, जबकि अक्टूबर 2020 तक 2500 लोगों की मौत सड़क हादसे में हुई.
ओबीसी और जनरल छात्रों को भी मिले विदेशी शिक्षा का मौका- लंबोदर
आजसू विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि कल्याण विभाग के बजट में सरकार का ध्यान सिर्फ एक ही वर्ग की ओर है. ओबीसी और जेनरल कोटा के होनहार छात्र-छात्राओं को भी विदेश में शिक्षा ग्रहण करने का मौका दिया जाना चाहिए. नवंबर 2020 से बंद दिव्यांग पेंशन को भी शुरू किया जाना चाहिए. सरना, जाहेर और कब्रिस्तान की घेराबंदी में विधायकों की अनुशंसा ली जानी चाहिए. विधायक ने कहा कि उन्होंने झुमरा पहाड़ इलाके में धान अधिप्राप्ति केंद्र खोलने की सरकार से कई बार मांग की, लेकिन मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी धान अधिप्राप्ति केंद्र नहीं खुला. अगर जल्द ही धान अधिप्राप्ति केंद्र नहीं खुला तो वे विधानसभा में भूख हड़ताल पर बैठेंगे.
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बीजेपी सरकार ने किया फंड का दुरुपयोग- बंधु
विधायक बंधु तिर्की ने नाई, बढ़ई, कुम्हार और मल्लाह जैसे जातियों के समूह को रोजगार से जोड़ने की मांग की. उन्होंने कहा कि ये लोग भूमिहीन हैं और अपने पेशे से जिंदगी गुजार रहे हैं. इनका सर्वे कराकर रोजगार दिया जाए. उन्होंने पूर्व की बीजेपी सरकार पर जनजातियों के विकास के फंड का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. कोविड के कारण हजारों बच्चे छात्रवृति फॉर्म नहीं भर पाये उन्होंने सरकार से फार्म भरने की तारीख बढ़ाने की अपील की.
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