Jamshedpur : वर्षों से बंद पड़ी केबुल कंपनी के मामले में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहा कि कंपनी को कोई टेकओवर करे या कंपनी नीलाम हो, दोनों ही परिस्थिति में कर्मचारियों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए. लंबे समय (21 वर्ष) से कर्मचारी कंपनी खुलने की आस लगाए बैठे हैं. लेकिन अब उनमें निराशा का भाव उत्पन्न हो रहा है. ऐसा कानूनी पचड़े एवं सरकार के दिलचस्पी नहीं लेने के कारण हो रहा है. सरयू राय अपने आवास पर संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे.
इससे पहले विधायक सरयू राय ने केबुल बस्ती जाकर केबुल कर्मियों के साथ बैठक की. जिसमें केवल वर्कर्स वेलफेयर एसोसिएशन के पार्वती सिंह, शंभू पांडे आदि मौजूद थे.
800 कर्मचारियों का 300 करोड़ रुपए बकाया
उन्होंने कहा कि इस कंपनी को खुलवाने के लिए उन्होंने भी भरसक प्रयास किया. लेकिन सरकार की मंशा अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है. वहीं पहले बायफर और अब एनसीएलटी में मामले के चले जाने से कानूनी पचड़ा काफी बढ़ गया है. ऐसी स्थिति में अगर कंपनी को कोई टेकओवर करता है या कंपनी नीलाम होती है तो, दोनों ही स्थिति में कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए. क्योंकि लगभग 800 कर्मचारियों का 300 करोड़ रुपए बकाया है. उन्होंने कहा कि अगर कंपनी नीलाम होती है तो कंपनी को सब लीज पर दी गई 177 एकड़ जमीन नीलाम नहीं होनी चाहिए. उक्त जमीन के बदले कर्मचारियों को उनका बकाया भुगतान हो या बकाया के एवज में जमीन ही कर्मचारियों को आवंटित कर दी जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो, उक्त जमीन पर अतिक्रमण बढ़ेगा जिसे रोक पाना संभव नहीं होगा. क्योंकि टाटा लीज की 1700 एकड़ जमीन पहले ही अतिक्रमित हो चुकी है. ऐसे में 177 एकड़ जमीन अतिक्रमण मुक्त कैसे रह पाएगी?
कंपनी चलाने के लिए 16 तक डाले जाने हैं टेंडर
केबल कंपनी को चलाने के लिए एनसीएलटी की ओर से सक्षम लोगों से टेंडर (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) मांगा गया है. पहले 28 अगस्त तक टेंडर डालने की तिथि थी. जिसे बढ़ाकर 16 सितंबर कर दिया गया है. विधायक सरयू राय ने बताया कि ऐसी सूचना मिली है कि चार टेंडर डाले गए हैं. लेकिन बड़े फर्म के आगे नहीं आने से संदेह उत्पन्न होता है. खैर अंतिम तिथि के बाद क्या होता है यह उल्लेखनीय है.
चोरी की प्राथमिकी को पुलिस ने सनहा में बदला
विधायक सरयू राय ने बताया कि केबुल कंपनी की संपत्ति की लगातार चोरी हो रही है. बीते वर्ष हुई चोरी के मामले में प्राथमिकी की जगह पुलिस ने सनहा दर्ज किया है. इस मामले में वे डीजीपी से मिले तथा कार्रवाई की मांग की. डीजीपी ने उनके सामने एसएसपी से इस मामले में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी. लेकिन 1 वर्ष बाद डीजीपी को सनहा दर्ज कर लिए जाने की रिपोर्ट भेज दी गई. इसी तरह इस मामले में मुख्य सचिव ने भी जिले के उपायुक्त से विस्तृत रिपोर्ट मांगी. जिसके बाद उपायुक्त ने सरकार के स्तर का मामला बताते हुए रिपोर्ट भेज दी. कहा कि विधानसभा में चार बार सवाल उठाए जाने के बाद सरकार का एक ही जवाब आता है कि मामला एनसीएलटी में है सरकार कुछ नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि इससे सरकार की मंशा स्पष्ट होती है.