LagatarDesk : भारत सरकार ने टैक्स को लेकर एक बड़ी पहल की है. दरअसल सरकार ने रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स डिमांड को खत्म करने का फैसला किया है. सरकार इस टैक्स को खत्म करने के लिए इनकम टैक्स एक्ट में संशोधन करेगी. कंपनियों के लिए यह नियम 28 मई 2012 से पहले जैसा हो जायेगा. सरकार के इस फैसले से वोडाफोन और केयर्न एनर्जी का सरकार के साथ चल रहा टैक्स विवाद खत्म हो जायेगा.
निर्मला सीतारमण ने पेश किया टैक्स बिल
वित्त मंत्री ने निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में टैक्सेशन लॉ बिल 2021 पेश किया. इस बिल के पास होने के बाद किसी कंपनी से रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स नहीं ली जायेगी. साथ ही केंद्र सरकार भुगतान की गयी राशि को बिना ब्याज के वापस करने के लिए तैयार है. यह कानून 2012 में बना था. उस समय देश के वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी थे. उन्होंने फाइनेंस एक्ट में बदलाव किया था. जिसके बाद से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स वसूलने लगा था.
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क्या है रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स वैसे टैक्स को कहते हैं जो कंपनियों से उनके पहले हुए डील पर भी वसूला जाता है. यदि आज किसी कंपनी को कोई टैक्स देना है तो वह आज से नहीं वसूला जाता है. यह टैक्स सरकार तब से वसूलती है, जब से कंपनी इस टैक्स के दायरे में आयी हो.
इस टैक्स के कारण सरकार को झेलना पड़ा नुकसान
बता दें कि अब देश में वोडाफोन और केयर्न जैसे विवाद नहीं होंगे. सरकार के लिए केयर्न इंडिया टैक्स विवाद कई सालों से मुसीबत बना हुआ है. आपको बता दें कि इसी विवादित टैक्स कानून के कारण सरकार को झटका लग चुका है. सरकार को पहला झटका 2012 में वोडाफोन की तरफ से लगा था. जिसके कारण सरकार को 8800 करोड़ का नुकसान हुआ था. इसके बाद केयर्न इंडिया की तरफ से भी इसी कानून को लेकर सरकार और कंपनी के बीच विवाद हुआ था. इसके कारण भारत सरकार को 1.2 अरब डॉलर का घाटा हुआ था.
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