Surjit Singh
सात फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के हल्दिया में थे. बंगाल में होने वाले चुनावों को लेकर उनका दौरा था. उन्होंने अपने भाषण में कहाः “ताम्रलिप्त सरकार” पर हमें गर्व है. बहुत कम लोग जानते होंगे, यह ताम्रलिप्त सरकार क्या है?
दरअसल, आजादी से पहले भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कांग्रेस ने 17 दिसंबर 1942 को भारत की आजाद सरकार की स्थापना की थी. सरकार की स्थापना बंगाल के “तमलूक” में की थी. महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरु के निर्देश पर “ताम्रलिप्त सरकार” की स्थापना की गई थी. “ताम्रलिप्त सरकार” की पूरी रिपोर्टिंग जवाहरलाल नेहरू को होती थी.
इस सरकार को झुकाने के लिये अंग्रेजों पूरी ताकत लगा दी थी. लेकिन “ताम्रलिप्त सरकार” को गिराया नहीं जा सका था. करीब 21 महीने तक यह सरकार चलती रही थी. 8 अगस्त 1944 को इस सरकार को भंग कर दिया गया था. क्योंकि तब महात्मा गांधी ने “भारत छोड़ो आंदोलन” को समाप्त कर दिया था.
“ताम्रलिप्त सरकार” के संस्थापकों में सभी कांग्रेसी ही थे. इनमें सतीश चंद्र सामंत, सुशील धाड़ा, अजय मुखर्जी व शहीद मातंगिनी हाजरा. आजादी के बाद अजय मुखर्जी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री भी रहे.
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पिछले कई सालों से नेहरू और उनके परिवार को देश का दुर्भाग्य बताने वाले नरेंद्र मोदी अचानक से उनके कामों की तारीख क्यों करने लगे. क्या यह पश्चिम बंगाल में उनकी चुनावी मजबूरी है. पश्चिम बंगाल के लोग इतिहास की जिन घटनाओं पर गर्व करते हैं, उसकी तारीफ करना मोदी ही नहीं भाजपा के तमाम नेताओं की मजबूरी है. अब देखना यह होगा कि आने वाले वक्त में मोदी और भाजपा नेहरु के किन-किन कामों पर गर्व करेंगे और साथ ही साथ किस तरह नेहरु परिवार को देश का दुर्भाग्य भी बताते रहेंगे.