NewDelhi : संसद के मॉनसून सत्र में हो-हंगामे के कारण बाधित होनेवाली लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाहियों से जनता के 26.40 अरब रुपये स्वाहा हो गये. एक आकलन के अनुसार संसद सत्र चलने पर हर मिनट 2.5 लाख रुपये खर्च होते हैं. पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों पर नजर डालें तो मॉनसून सत्र में संसद की उत्पादकता पिछले दो दशकों में चौथी सबसे कम रही है. संसद की लोकसभा की उत्पादकता सिर्फ 21 प्रतिशत रही, जबकि राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी 29 प्रतिशत रही. जानकारी के अनुसार लोकसभा को 19 दिनों तक प्रति दिन छह घंटे के हिसाब से चलना था.
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सदन की कार्यवाही लगातार बाधित होती रही
लेकिन पेगासस जासूसी कांड और नये कृषि कानूनों की वापसी जैसी मांगों को लेकर हंगामे से सदन की कार्यवाही लगातार बाधित होती रही. इस कारण लोकसभा में कुल मिलाकर 21 घंटे और राज्यसभा में 29 घंटे ही कामकाज हुआ. पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार मॉनसून सत्र में लोकसभा और राज्यसभा को 19 दिनों में क्रमशः 114 और 112 घंटे काम करने थे. लेकिन 2016 के शीतकालीन सत्र के बाद लोकसभा में इस बार सबसे कम काम हुआ.
बता दें कि 2016 के शीतकालीन सत्र में लोकसभा की कार्यवाही शिड्यूल टाइम के सिर्फ 15फीसदी समय तक ही चल पायी. पिछले 10 वर्षों के पांच सत्रों में राज्यसभा अपने निर्धारित समय के 25 फीसदी से भी कम काम कर पायी है. जान लें कि इस सत्र में लोकसभा में किसी गैर-विधायी मुद्दे पर चर्चा नहीं की गयी.
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लोकसभा के लिए 114 और राज्यसभा के लिए 112 घंटे हैं निर्धारित
मॉनसून सत्र में लोकसभा के लिए 114 और राज्यसभा के लिए 112 घंटे निर्धारित हैं. यदि दोनों को जोड़ दें तो संसद में दोनों सदनों को मिलाकर कुल 226 घंटे कामकाज होना था, लेकिन सिर्फ 50 घंटे काम हुआ. अनुमानों के अनुसार संसद की हर मिनट की कार्यवाही पर करीब 2.5 लाख रुपये खर्च होते हैं. इस तरह 226 घंटे यानी कुल 13,560 मिनट की कार्यवाही पर करीब 33.90 अरब रुपये खर्च हुए. अब अगर दोनों सदनों में हुए कामकाज के घंटों को जोड़ें तो यह कुल 50 घंटे ही होते हैं. यानी, इन 50 घंटों यानी 3,000 मिनटों पर खर्च हुए 7.50 अरब रुपये का सार्थक उपयोग हुआ.
176 घंटे यानी 10,560 मिनट बर्बाद हो गये
अब चूंकि 226 में से सिर्फ 50 घंटे ही कामकाज हो पाये. हिसाब करें तो 176 घंटे यानी 10,560 मिनट बर्बाद हो गये. बर्बाद हुए इन मिनटों पर 26.40 अरब रुपये स्वाहा हो गये. कुल खर्च 33.90 अरब रुपयों में सदुपयोग हुए 7.50 अरब रुपयों को निकाल दें तो यह राशि 26.40 अरब रुपये होती है. तो हम मान लें कि संसद के मॉनसून सत्र में आम जनता की जेब के 26.40 अरब रुपये बर्बाद हो गये.