Ranchi: झारखंड स्टेट बार काउंसिल के निर्देश पर पूरे राज्य भर के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से दूर रहे. रांची सिविल कोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट समेत जिला एवं अनुमंडल न्यायालयों में भी किसी भी अधिवक्ता ने न्यायिक कार्य में हिस्सा नहीं लिया. राज्य के लगभग 30 हज़ार अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्यों से खुद को अलग रखा.
जिसका असर न्यायिक कार्यों पर साफ तौर पर देखने को मिला. पेन डाउन के कारण कई मामलों में सुनवाई नहीं हुई और फरियादियों को अदालत की चौखट से बैरंग वापस लौटना पड़ा. अपने साथी अधिवक्ता मनोज झा की हत्या के विरोध में रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं ने भी न्यायिक कार्यों से खुद को अलग रखते हुए अपना आक्रोश व्यक्त किया.
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने मनोज झा की हत्या को वकीलों की अस्मिता पर सीधा प्रहार बताते हुए कहा कि अब एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के लिए उठी आवाज को अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लिया जाएगा. क्रमवार तरीके से उचित फोरम में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग उठाई जाएगी ताकि लोगों को न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता खुद को डरा हुआ महसूस ना करें.
वहीं धनबाद बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और स्टेट बार काउंसिल के सदस्य राधेश्याम गोस्वामी ने अधिवक्ता मनोज झा हत्याकांड में संलिप्त अपराधियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग करते हुए कहा कि पूरे राज्य के वकीलों में इस घटना से काफी आक्रोश है. पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह अधिवक्ताओं को अपराधी निशाना बना रहे हैं उसके कारण अधिवक्ता समुदाय स्वतंत्र होकर लोगों को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ने में संकोच करने लगेगा.
इसके साथ ही उन्होंने धनबाद जिला जज उत्तम आनंद की संदेहास्पद परिस्थितियों में मृत्यु की घटना की भी सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि न्याय देने वाले और न्याय दिलाने वाले दोनों दोनों पर यह गहरी चोट है.
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