- दो दिवसीय राजकीय मुड़मा जतरा का हुआ रंगारंग समापन
- मुड़मा जतरा में दिखी झारखंड की पारंपरिक व्यवस्था की झलक
Basant Munda
Ranchi : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंगलवार को ऐतहासिक मुड़मा जतरा के समापन के मौके पर शामिल हुए. उन्होंने अपना संबोधन राउरे मन के जोहार से शुरू किया. कहा कि मुड़मा मेला अपने आप में ताकत बन चुका है. मुड़मा मेला आदिवासी संस्कृति का समागम स्थल है. आदिवासी समाज को दुनिया आदिमानव के रूप में देखती है. इस समाज में लोग खुशहाल रहते हैं. ढोल- नगाड़ा बजाते हैं तो आदिवासी समाज पर गर्व महसूस होता है. हालांकि राज्य अलग होने के बाद और पहले समस्या आई है. राज्य का विदेशों में भी चर्चा होती है. देश की हॉकी टीम में झारखंड के बेटियों खेल रही हैं. राज्य बनने के बाद पहली सरकार है, जिसने खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति देने का काम किया है. राज्य खनिज संपदा से भरा है. राज्य के कोयला से पूरा देश उजाला हो रहा है. हमें अलग राज्य लड़ाई से मिली है. इसे बचाने के लिए सबको शिक्षित करना होगा. प्राइमरी स्कूल को उच्च स्तरीय बनाना है. शहीदों के वंशजों को अपने दायित्व का निर्वाह करना होगा. आंदोलनकारी को सम्मान दिया जाएगा. झारखंड वीरों का राज्य है.
यह शक्ति स्थल आदिवासियों का सुप्रीम कोर्ट : बंधु तिर्की
पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि यह शक्ति स्थल आदिवासियों के लिए सुप्रीम कोर्ट है. पेसा कानून नियमावली को मान्यता देने की जरूरत है. इसी कानून के साथ राज्य के विभिन्न जतरा, पर्व- त्योहार को मान्यता मिलेगी. पेसा कानून से ही ग्राम सभा को मजबूती मिलेगी. गांव के विवाद को निबटारा करने की शक्ति प्राप्त होगी. सैकड़ों बच्चों को सरकार ने विदेश पढ़ने के लिए भेजा. इस राज्य में एशियन हॉकी मैच का आयोजन हो रहा है. कहा कि केंद्र सरकार ने यहां के 8 लाख लोगों को प्रधानमंत्री आवास नहीं दिया है. लेकिन वर्तमान सरकार गरीब व निचले तबके के विकास के लिए अबुआ आवास देने का वादा किया है. हमें अपनी संस्कृति, सभ्यता व धर्म को बचाना होगा.
मेले का हुआ समापन
दो दिवसीय झारखंड का ऐतिहासिक राजकीय मुड़मा जतरा मंगलवार को रंगारंग कार्यक्रम के साथ संपन्न हुआ. इस जतरा में झारखंड के अलावे देश-विदेश के भी लोग शामिल हुए. जतरा में 40 पड़हा के विभिन्न आदिवासी समाज अपने-अपने प्रतीक चिन्ह के साथ शामिल हुए. जतरा में सबसे पहले लुंडरी पड़हा के खोड़हा शामिल हुए.
जतरा में ढोल, नगाड़ा, मांदर आकर्षण का केंद्र रहा
बताया गया कि जतरा में पुरियो, मुड़मा, चान्हो, नगड़ी, लापुंग, मलटोटी और मखमंदरो के किसान 20 लाख रुपये की ईख बेचने पहुंचे थे. आदिवासी समाज में माप -तौल करने वाले सामान पइला और पवा 180-280 रुपये में बिक रहे थे. जतरा में ढोल, नगाड़ा, मांदर मुख्य आकर्षण के केंद्र रहे. जतरा में मनचलों से निबटने के लिए मांडर थाना प्रभारी बिनय कुमार यादव ने युवाओं को विशेष ट्रेनिंग दी थी. इन युवाओं द्वारा विभिन्न गांव से आने वाले खोड़हा को मुख्य गेट से शक्ति खूंटा तक शांतिपूर्वक लाया गया.
हेल्थ शिविर लगाया गया
रेफरल अस्पताल मांडर द्वारा मेले में जांच शिविर लगाया गया, जिसमें लोगों की बुखार, बीपी, वेट की फ्री में जांच की गई. इसके अलावा लोगों के बीच निशुल्क दवा का वितरण किया गया.
आयोजन समिति की रही अहम भूमिका, कई लोग हुए शामिल
मेले में ऐतिहासिक राजी पड़हा जतरा समिति के मुख्य संयोजक धर्म गुरु बंधन तिग्गा, अध्यक्ष जयराम उरांव, महासचिव विद्यासागर केरकेट्टा, राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय पाहन, भगवान बिरसा मुंडा के पोता सुखराम मुंडा, गया मुंडा के पोता गमय मुंडा , झारखंड प्रदेश अध्यक्ष रवि तिग्गा, ओड़िशा के अध्यक्ष मणिलाल केरकेट्टा, बंगाल प्रदेश अध्यक्ष जीतू उरांव, नेपाल प्रदेश अध्यक्ष सूर्यदेव उरांव, राष्ट्रीय प्रवक्ता कमले किस्पोट्टा, असम के सांसद नवा कुमार, सुबोध तिर्की, बिहार के पूर्व एसी एसटी अध्यक्ष ललित भगत, सरना सोतो समिति से मथुरा कंडीर शामिल हुए.
किसने क्या कहा
बिहार के एसी एसटी के पूर्व उपाध्यक्ष ललित भगत ने कहा कि यह मेला मुंडा व उरांव के लिए ऐतिहासिक है. आदिवासी अस्मिता से जु़ड़ा है. शक्ति पीठ को उरांव समाज ने स्वीकार किया है. इसे आगे बढ़ाने का संकल्प लेना होगा. आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा. मांडर के ब्रजो देवी ने कहा कि पूरा परिवार 25 साल से भी अधिक समय से इससे जुड़ा रहा है.
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