Apoorv Bhardwaj
इंफोसिस के को-चेयरमैन और मेंटर नारायण मूर्ति को तो आप जानते ही होंगे, वो मेरे जैसे कितने युवा आईटी प्रोफेशनल्स के आदर्श रहे हैं. कल संघ के मुखपत्र पांचजन्य ने उनकी और इंफोसिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वो आरोप सही है या गलत वो जांच का विषय है. लेकिन वो क्यों लगाए गए हैं, उसकी वजह मैं जानता हूं.
एक बार नारायण मूर्ति जी ने तथाकथित नए भारत की असली तस्वीर दिखाई थी. उन्होंने कहा था कि यह वो भारत नहीं है, जिसका सपना भारत के निर्माण पुरुषों ने देखा था. यह भारत अपने वर्षों पुराने मूल्यों से भटक गया है. आज देश के विभिन्न हिस्सों में क्या हो रहा है. यह समय है कि हम, विशेष रूप से युवा, खड़े होकर कहें कि यह उस तरह का देश नहीं है, जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी.
उस दिन नारायण मूर्ती बहुत बड़ी बात कह रहे थे कि “हम लोग कितने उदासीन हो गए हैं. हममें से कितने लोग इसका विरोध कर रहे हैं? कोई भी ऐसा नहीं कर रहा है, यह बहुत दुख की बात है. यही कारण है कि इस देश में यह हालात हो गए हैं कि कोई भी किसी को यह कहकर नाखुश और निराश नहीं करना चाहता है कि इस देश में बहुत कुछ गलत हो रहा है.” मेरे युवा साथियों अगर भक्ति से आपकी आंखें अभी भी अंधी नहीं हुई है, तो आप वो तस्वीर देख पा रहे होंगे. जिसे वो हम जैसे युवाओं को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.
नारायण मूर्ति जी ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव, मनमोहन सिंह, मोंटेक सिंह अहलूवालिया और पी चिदंबरम को आधुनिक भारत का आर्किटेक्ट कहा है. जिन्हें भक्त और उनके भगवान कब से देशद्रोही घोषित कर चुके हैं. जिन भक्तों के लिए नारायण मूर्ति कुछ समय पहले एक आदर्श थे. अब वो उन्हें अर्बन नक्सल, पाकिस्तान प्रेमी, कुंठित बुद्धिजीवी और निराशावादी आदि इत्यादि कहेंगे. लेकिन वो मेरे जैसे असंख्य युवाओं के लिए आदर्श थे, हैं और आजीवन रहेंगे. मूर्ति सर आपके सच कहने की आदत को दिल से सलाम, आप वास्तव में एक सच्चे देशभक्त हैं.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.