LagatarDesk : भारत में हर साल 7 नवंबर को ‘नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे ’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है. नेचर रिव्यू क्लीनिकल अंकोलॉजी नाम के जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में 50 साल से कम उम्र के लोगों में कैंसर के मामले बढ़े हैं. वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग की एक रिपोर्ट की मानें तो कैंसर के 66 फीसदी मामले खराब जीवनशैली की वजह से होते हैं. देश में 33 प्रतिशत कैंसर के मामले तंबाकू और शराब के सेवन से जुड़े हैं, वहीं 33 % के लिए खराब खानपान जिम्मेदार है. पैकेट बंद प्रोसेस्ड फूड, स्मोकिंग, अल्कोहल का सेवन, भरपूर और अच्छी नींद नहीं लेना, मोटापा, तनाव, एक्सरसाइज का अभाव आदि कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं.
कैंसर के सामान्य लक्षण
- अनियमित वजन गिरना
- बार बार बुखार आना
- कुछ खास अंगों में लगातार दर्द
- खून में कमी
- भूख नहीं लगना, पाचन में कठिनाई
- कब्ज, लूज मोशन
- शरीर के किसी अंग में लंबे समय से घाव होना और उसका आकार बढ़ना
- थकावट
- त्वचा में अनियमित बदलाव ( पिगमेंटेशन, अचानक बालों का आना, त्वचा का लाल या पीला होना त्वचा पर चकत्ता सा होना)
महिलाओं को इन खास लक्षणों पर भी देना चाहिए ध्यान
- ब्रेस्ट के शेप और कलर में बदलाव
- पीरियड के अलावा भी ब्लीडिंग होना
- मल में ब्लड आना
- ब्लॉटिंग
कैंसर के कारण
- आनुवंशिकता
- तंबाकू व अन्य संबंधित नारकोटिक्स
- अल्कोहल
- अल्ट्रावायलेट रेज जैसे रेडिएशन
- डाइट व लाइफस्टाइल
- इंफेक्शन
- प्रदूषण
वजन से कैंसर का है संबंध
शारीरिक वजन को नियंत्रित रखने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिसमें कैंसर के रिस्क का कम होना भी एक कारण है. निष्क्रियता और मोटापा से उत्पन्न क्रोनिक डिजीज जिसमें टाइप टू डायबिटीज, स्ट्रोक, कॉर्डियोवास्कुलर डिजीज और कैंसर शामिल हैं. इससे हर साल 20 लाख मौत हो रही. ब्रेस्ट और कोलोन कैंसर का मोटापे से संबंध है. कैंसर से बचाव में शारीरिक सक्रियता बहुत मायने रखती है. मोटापे से इंडोमेटेरियल, रिनल और एसोफैगस कैंसर का संबंध है.
डाइट कैंसर की आशंका को करता है कम
कई दशक से शोधकर्ता कैंसर से डाइट का संबंध खोजने की कोशिश में लगे हैं. ऐसी डाइट जिसमें भरपूर फल और सब्जियां हों, खूब सारे फाइबर हों, एनिमल फैट और रेड मीट बेहद सीमित मात्रा में हों, मल्टीविटाामिन से युक्त हो, हेल्दी डाइट मानी जाती है. शोध में यह भी पाया गया है कि टमाटर का सेवन पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर की आशंका को कम करता है. टमाटर में मौजूद कारोटेनॉइड लाइकोपिन से बचाव पक्ष के लिए जिम्मेदार है. हेल्दी फूड और ड्रिंक का सेवन कैंसर की आशंका को कम करता है. ढेर सारी सब्जियां, फल, फाइबर और हेल्दी प्रोटीन वाले साबुत अनाज का सेवन करें. अपने आहार से रेड मीट, अल्कोहल, हाई कैलोरी फूड और ड्रिंक को बाहर करें.
स्मोकिंग और अल्कोहल को कहिए ना
कैंसर से बचाव के लिए बेहतर है कि स्मोकिंग को ना कहिए. सिगरेट में मौजूद हानिकारक रसायन न केवल फेफड़ों, बल्कि पूरे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. अल्कोहल का सेवन नहीं कर आप सात तरह के कैंसर के रिस्क को कम करते हैं.
कैंसर के इलाज के हैं कई विकल्प
- सर्जरी – इसके जरिए शरीर से ट्यूमर हटाया जाता है.
- कीमोथेरेपी – यह मेडिसिन है जिसके जरिए शरीर से कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है और उनके ग्रोथ से बचाव किया जाता है.
- इम्यूनोथेरेपी – यह मेडिसिन है जिससे रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ती है और कैंसर से मुकाबला मजबूती से होता है. इसके साइड इफेक्ट बहुत कम हैं.
- टार्गेट थेरेपी – ये सीधे कैंसर सेल को टार्गेट करती हैं और उन्हें खत्म करती हैं. कीमोथेरेपी की तुलना में इसके साइड इफेक्ट कम हैं.
- रेडिएशन थेरेपी : एक्सरे या गामा रेज का इस्तेमाल भी कैंसर को खत्म करने के लिए किया जाता है.
आमतौर पर स्टेज एक से तीन तक इलाज के रूप में विचार किया जाता है. इन स्टेज पर सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी आदि से बीमारी से बचाव होता है. स्टेज चार में कैंसर कीमो थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और टार्गेट थेरेपी के जरिए उपचार किया जाता है. स्टेज चार में पहुंचने पर कैंसर से मुक्ति नहीं मिलती, पर इनका इलाज किया जा सकता है. इससे कष्ट कम होता और जिंदगी के कुछ पल बढ़ जाते हैं.
कैंसर से जुड़ी मिथ और सच्चाई
संक्रामक है कैंसर
कैंसर संक्रामक नहीं है. हालांकि कुछ कैंसर वायरस और बैक्टेरिया के कारण होते हैं.
कैंसर की फैमिली हिस्ट्री नहीं है तो बेफिक्र रहें
यदि आपके परिवार में कोई कैंसर से अब तक नहीं जूझा है तो इस बात की गारंटी कतई नहीं है कि आपको कैंसर नहीं होगा. केवल 5-10 प्रतिशत केस में कैंसर आनुवांशिक होते हैं.
कैंसर की फैमिली हिस्ट्री यानी आपको भी कैंसर निश्चत
बेशक कैंसर की फैमिली हिस्ट्री कैंसर के विकसित होने की आशंका को बढ़ाती है, पर यह कोई निश्चित कारक नहीं. केवल 5-10 प्रतिशत कैंसर केस के पीछे फैमिली हिस्ट्री दोषी होती.
कीमोथेरेपी है जानलेवा
ऐसा नहीं है. हालांकि जान का जाना इसके साइड इफेक्ट में शामिल हैं, पर यह आशंका 01% से भी कम है.
सकारात्मक रवैया कैंसर का इलाज
बेशक पॉजिटिव एटीट्यूट कैंसर ट्रीटमेंट में सहायक है, पर इस बात के कोई प्रमाण नहीं कि इससे कैंसर का इलाज होता है.
कैंसर का इलाज बुजुर्गों के लिए सही नहीं
कैंसर ट्रीटमेंट के लिए कोई उम्र सीमा नहीं है. कई उम्रदराज रोगी पर भी कैंसर इलाज वैसा ही असर दिखा सकता जैसा युवा रोगियों पर.
आर्टिफिशयल स्वीटनर, फ्लेवर, कलर आदि मानवों के कैंसर के लिए जिम्मेदार
शोधकर्ताओं ने ऐसा कोई प्रमाण नहीं पाया जिसके अनुसार जाहिर हो कि आर्टिफिशयल स्वीटनर्स, फ्लेवर्स, कलर आदि कैंसर के कारण हैं.
विचलित करते हैं कैंसर के ये दो केस
डॉ गुंजेश कुमार सिंह, कंसल्टेंट एंड हेड ऑफ डिपार्टमेंट, अंकोलॉजी डिपार्टमेंट, महावीर मेडिका सुपर स्पेसिलिटी हॉस्पिटल, रांची
कैंसर के इलाज के दौरान दो अनुभव ने विचलित किया. दोनों महिला मरीजों से जुड़ा अनुभव है. पहले केस में महिला पेट के कैंसर से ग्रसित थी और चौथे स्टेज पर थीं. दूसरे केस में महिला ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही थीं. दोनों की उम्र यही कोई 35 साल रही होगी. दोनों शादीशुदा थीं और बच्चे भी थे. दोनों ही केस में पति का व्यवहार सहयोगात्मक नहीं लगा. इलाज पर उनका अधिक ध्यान नहीं था. दोनों पतियों की चिंता का विषय शारीरिक संबंध को लेकर दिखी. एक ने तो पत्नी के इलाज के दौरान ही दूसरी शादी कर ली. इसके बाद उसके इलाज को लेकर लापरवाह सा हो गया. कुछ दिनों तक महिला अकेली आयी और फिर उसने भी इलाज कराना छोड़ दिया. कैंसर से इलाज में अपनों का साथ खास मायने रखता है.
जिंदगी की डायरी में कुछ और पन्ने जोड़ने की कवायद
रवि प्रकाश
लगातार खांसी जब लंबे समय तक ठीक नहीं हुई तो जनवरी 2021 में छाती रोग विशेषज्ञ डॉ निशिथ कुमार से दिखाया. एक्सरे में छाती और आसपास पानी का जमाव दिखा. फिर ऑर्किड की डॉ सुजाता ने कुजूर ने ऑपरेशन कर पानी निकाला. छाती में पानी होना कैंसर और टीबी का कारण हो सकता है. ऐसे में जांच जरूरी थी और हुई. 30 जनवरी को रिपोर्ट आई और मेरे कैंसर की पुष्टि हुई. स्टेज चार. याद है, उस दिन बहुत सारी व्यवसायिक व्यस्तता थी, पर मैं सीधे घर लौटा. इस सच्चाई को स्वीकारते हुए कि मुझे कैंसर है. परिवार को भी इस बारे में बताया और कहा कि इस सच्चाई को स्वीकार अब इलाज के बारे में सोचना है. फिर मुंबई के टाटा मेमोरियल हास्पिटल (टीएमएच) में इलाज के लिए पहुंचा. करीब 20-25 दिन की जांच के बाद एक बार फिर कैंसर की पुष्ट हुई. कीमोथेरेपी के 30 चरणों से गुजर चुका हूं. 18 नवंबर को 31वीं थेरेपी होनी है. साथ ही मेरी टारगेटेड थेरेपी भी चल रही है. चूंकि कैंसर का चौथा स्टेज है, इसलिए मुझे अब इसके साथ ही जीना है. मेरी तमाम गतिविधियां कमोबेश पूर्ववत चल रही है. जिंदगी की डायरी में कुछ और पन्ने जोड़ने की कवायद कर रहा हूं. मुंबई और रांची के मेरे डॉक्टर मेरी इस कवायद के वाहक बने हैं और मेरी पत्नी और परिवार इसका सपोर्ट सिस्टम.
संदेश
कैंसर की पुष्टि हुई तो सबसे पहले खुद इस बात को स्वीकार करें और इलाज के लिए हौसला रखें. हौसला और पारिवारिक सहयोग सबसे बड़ी पूंजी है.
दरकार इस बात की
- कैंसर सरीखे रोगों की दवाओं की कीमत सरकार कम रखें. दवाइयों के पेटेंट विदेशी कंपनियों के होने के कारण अपने देश में इनकी कीमत बहुत ज्यादा है. ज्यादातर मरीज इन एडवांस दवाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं. पैरासीटामोल और मार्फिन की कीमत तो पहले से ही कम हैं. इनकी कीमत घटा कर आर्थिक राहत की बात बेमतलब है. टारगेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी आदि में इस्तेमाल होने वाली मंहगी दवाओं की कीमत कंट्रोल करनी होगी. आयुष्मान भारत जैसी शानदार योजना में कैंसर की सभी दवाओं को बगैर शर्त शामिल करना होगा.
- कैंसर अस्पतालों की संख्या बढ़े ताकि शुरुआती स्टेज में ही जांच हो सके. अर्ली स्टेज में डायग्नोस हुआ कैंसर पूरी तरह ठीक किया जा सकता है.
- समाज के लोगों को भी कैंसर पेशेंट के सहयोग के लिए आगे आना चाहिए. यह सहयोग तन, मन,धन सबका हो सकता है.
परिवार ने इस तूफान से उबार लिया
फैसल अनुराग
लगातार वजन कम होने और बेहोशी की घटनाओं के बाद इलाज का सिलसिला शुरू हुआ. जून 2017 में रोग की पुष्टि हुई. परिवार वालों ने तुरंत इलाज के लिए दिल्ली एम्स ले जाने का निर्णय लिया. 18 जून को दिल्ली गया और 19 जून से इलाज शुरू हुआ. एक ब्लड रिलेटेड कैंसर था जिसके कारण शरीर के कई अंगों में ट्यूमर हो रहा था. 13 अगस्त को पहली कीमोथेरेपी हुई और फिर एक के बाद एक कुल आठ थेरेपी हुई. बेशक बहुत कठिन दौर था, कई बार खुद को बेहद अशक्त महसूस कर रहा था. शरीर की कमजोरी मन को तोड़ने के कगार पर थी पर टूटा नहीं, कारण था मेरा पारिवारिक संबंल और डॉ ललित कुमार सरीखे शानदार चिकित्सकों का साथ.
संदेश
कैंसर की पुष्टि होने के बाद इलाज में देर नहीं करें. डॉक्टर पर भरोसा रखें. जो कुछ भी मेडिकल इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं, उन सबको सौ प्रतिशत पूरा करें. साथ ही कैंसर से घबराने की बजाय उससे दोस्ती करें. यकीन मानें, तकलीफ कम हो जाएगी.
दरकार इस बात की
- कैंसर में परिवार और दोस्तों का साथ बहुत मायने रखता है. अपने यहां परिवार तो आमतौर पर साथ खड़ा रहता ही है. दोस्तों को भी ऐसे दौर में कैंसर पीड़ित का साथ निभाना चाहिए.
मायने रखता है सही समय पर सही इलाज
डॉ मनीष अरविंद
कमजोरी, शरीर में ऊर्जा की कमी, बेहोशी जैसे लक्षण होने पर पहले डाल्टेनगंज, बोकारो समेत झारखंड में इलाज के लिए इधर उधर भटका. वर्ष 2014 के फरवरी माह में नोएडा स्थित मेडांता में इलाज के लिए गया. कई टेस्ट के बाद कैंसर की पुष्टि हुई. मुझे कोलोन कैंसर था. मिलावटी खाने की वजह से शरीर में इसने पैठ जमाई थी. जाहिर है मेरे और परिवार के लिए यह हतप्रभ कर देने वाली घटना थी. दूसरे-तीसरे स्टेज के बीच के कैंसर को डॉक्टर ने ठीक कर देने का भरोसा दिया था. लगातार दो कीमोथेरेपी के बाद शरीर ने इसके लिए साफ इंकार कर दिया. इलाज कुछ सालों तक चला. अब रिकवर हो चुका है, हालांकि निरंतर चिकित्सक के निर्देशन में हूं.
संदेश
कैंसर का पता चलते ही बिना घंटे भर की देर किए इससे लड़ाई में जूझ जाएं. इस बीमारी में समय बहुत मायने रखता. दूसरे स्टेज तक इसका इलाज भी बहुत आसान है.
दरकार इस बात की
- सरकार को खाद्य सामग्रियों में मिलावट पर कड़ाई से नियंत्रण रखना जरूरी है. कैंसर इससे जरूर नियंत्रित होगा.
- जिस तरह शारीरिक शुद्धि के लिए डिटॉक्सीकेशन की प्रॉसेज कई स्तर पर होती है, उसी तरह मन से ईष्या, क्रोध, विद्वेष आदि को निकालने की दरकार है. इस काम में योग, प्राणायाम, ध्यान, पूजा-पाठ सब मायने रखता और असर दिखाता है.
फूड टू फाइट कैंसर
डॉ मनीषा घई, कंसल्टेंट सीनियर डाइटीशियन
फल, सब्जियां और सूखे मेवे, सभी में एंटी ऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में होता है और ये सभी कैंसर से मुकाबले में साथी हैं. कैंसर से बचने के लिए फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली, पालक जैसी सब्जियां फायदेमंद हैं. प्याज, लहसुन, गाजर और टमाटर भी बेहतर हैं. इनके अलावा ग्रीन टी भी कैंसर से बचाव करती है. सभी तरह के साइट्रस फ्रूट का उपयोग करें. अंकुरित अनाज भी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है और कैंसर से बचाव करता है.