Ranchi: एक सिगरेट के पैकेट को बनाने में 8 किलो लकड़ी की खपत होती है. एक सिगरेट को बनाने में सात हजार तरह के केमिकल का प्रयोग होता है. जिसमें 70 केमिकल कैंसर का सबसे बड़ा कारण बनते हैं. सिगरेट न सिर्फ इंसान बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. वहीं एक चौंकाने वाली रिपोर्ट भी सामने आयी है, इस रिपोर्ट के मुताबिक, 13 से 17 साल के 80 प्रतिशत युवाओं को इसी उम्र में तंबाकू सेवन की लत लग जाती है. और इसकी एक बड़ी वजह उसमें पाया जाने वाला निकोटीन होता है. इससे डोपामीन निकलता है. और तंबाकू का सेवन करने वालों में थोड़ी देर के लिए मदहोशी छा जाती है. दरअसल, प्रेस क्लब में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के दौरान मीडिया की भूमिका पर प्रशिक्षण के दौरान यह जानकारी दी गयी.
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पुरुषों-महिलाओं में खैनी की लत सबसे अधिक
देश के विभिन्न राज्यों में तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों की पसंद अलग-अलग है. गुजरात और महाराष्ट्र में मावा का प्रचलन नशा के लिए किया जाता है. जबकी झारखंड, बिहार, बंगाल में खैनी का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, नशे के रूप में खैनी का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 8.5 करोड़, बीड़ी 6.7 करोड़ और गुटखा खाने वाले लोगों की संख्या 5.1 करोड़ है. जबकि 1.9 करोड़ महिलाएं भी खैनी का सेवन नशा के रूप में करती हैं.
कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू
प्रशिक्षण के दौरान तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर नीरज कौशिक ने कहा कि धुंआ रहित तंबाकू में 3 हजार प्रकार के केमिकल होते है. इनमें 30 केमिकल कैंसर का कारण बनते है. वहीं ग्लोबल स्कूल पर्सनल सर्वे-2006 के आंकड़ों को भी कार्यक्रम में प्रस्तुत किया गया. दक्षिण भारत में 13 से 15 साल के 13.4 प्रतिशत बच्चे तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि उत्तर पूर्वी क्षेत्र के 34.3 प्रतिशत बच्चे तंबाकू का सेवन करते हैं.
ये रहे मैजूद
तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर नीरज कौशिक, एनसीडीसी सेल के सरोज कुमार, प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय मिश्रा, कार्यकारणी सदस्य परवेज कुरैशी समेत मीडियाकर्मी शामिल हुए.