10 से 15 रुपये प्रति सैकड़ा की दर से देते हैं उधार पैसा
Ravi Bharti
Ranchi: झारखंड में सूदखोरी का धंधा जोरों पर है. प्रदेश में लगातार सूदखोरों की संख्या में वृद्धि हो रही है. पांच साल पहले झारखंड में सूदखोरों की संख्या 1.50 लाख थी, जो अब बढ़ कर 2.75 लाख हो गई है. यानी पांच साल में सवा लाख सूदखोरों की संख्या बढ़ गई है. सूद से सालाना कमाई 18.70 करोड़ रुपए से अधिक होती है. इसका खुलासा झारखंड सरकार के लिए आर्थिक और सामाजिक स्थिति का सर्वे कर रही एक टीम ने किया है. जल्द ही यह रिर्पोट राज्य सरकार जारी करेगी. झारखंड में सूदखोर से 15 से 20 फीसदी की दर से सूद पर पैसा लगाते हैं. कहीं कहीं यह दर 10 फीसदी भी है. यह पैसा सूदखोर लोग व्यवसाय से जुड़े लोगों को देते हैं. इसके अलावा इनके मकड़जाल में नौकरी पेशा वाले भी फंस जाते हैं. सूदखोर पैसे देने की एवज में साइन किया हुआ चेकबुक और एटीएम कार्ड रख लेते हैं. सूद नहीं चुकानेवाले लोगों का ये वेतन तक निकाल लेते हैं.
जमशेदपुर, हजारीबाग और धनबाद में सबसे ज्यादा सूदखोर
झारखंड में सबसे ज्यादा सूदखोरों की संख्या जमशेदपुर, हजारीबाग और धनबाद में है. जमशेदपुर में सबसे ज्यादा 35 हजार लोग सूद पर पैसे लगाते हैं. हजारीबाग में 26 हजार और धनबाद में लगभग 23 हजार लोग सूद पर पैसा लगाते हैं. इसके अलावा पलामू, चतरा, साहिबगंज, देवघर में 15 हजार से अधिक लोग सूद में पैसा लगाते हैं.
20 लाख लोगों के पास इनकम का कोई साधन नहीं
पता चला है कि सूदखोरी की सबसे बड़ी वजह यह है कि झारखंड में 20 लाख से अधिक लोगों के पास इनकम का कोई साधन नहीं है. अपने व्यवसाय के लिए इन्हें सूदखोरों की शरण में जाना पड़ता है. वहीं 70 से 80 हजार लोग किराए के पैसे से अपनी आजीविका चला रहे हैं.
क्या कहता है कानून
सूद पर पैसा देनेवालों को मनी लैंडर्स एक्ट के तहत लाइसेंस लेना अनिवार्य है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, ब्याज का धंधा करने के लिए मनी लेंडिंग एक्ट के तहत सरकारी संस्था से लाइसेंस लेना पड़ता है. इसके तहत प्राधिकृत संस्था ब्याज पर पैसे देने का काम करने वाले लोगों को लाइसेंस देती है. अगर ब्याज पर पैसे बांटने का काम कर रहे हैं या करना चाहते हैं, तो लाइसेंस की अनिवार्यता होती है. इसके बिना ब्याज पर रकम बांटने का धंधा गैरकानूनी होता है.