Ranchi: रिम्स में लापरवाही और अनियमितता आम है. अस्पताल भले ही मरीजों के बेहतर इलाज के लिए बनाया गया है, लेकिन इलाज के लिए आने वाले मरीजों को साफ-सुथरे बेडशीट तक मयस्सर नहीं हो पा रहा है. रिम्स में मरीजों के बेड पर बिछाने वाले चादर, ब्लैंकेट और डॉक्टरों के पहनने वाले गाउन की साफ सफाई की जिम्मेवारी मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री सिस्टम की है.
बिना केमिकल और सर्फ के ही बेडशीट और ब्लैंकेट की सफाई
रिम्स के मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री सिस्टम में हर दिन करीब दो हजार बेडशीट, इतनी ही संख्या में ब्लैंकेट और ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों द्वारा इस्तेमाल किये गए गाउन की साफ सफाई होती है. लेकिन रिम्स प्रबंधन के द्वारा लॉन्ड्री को ना तो सर्फ दिया जा रहा है और ना ही “हाइपो” केमिकल. इस वजह से बेडशीट पर लगे खून के धब्बे और अन्य दाग ठीक ढंग से नहीं साफ हो रहे हैं.
20 किलो सर्फ और 30 लीटर हाइपो की पड़ती है जरूरत
वहीं लॉन्ड्री में काम करने वाले कर्मचारी नागेश्वर हेंब्रम ने बताया कि बेडशीट, ब्लैंकेट और डॉक्टरों के गाउन की सफाई में हर दिन 20 किलो सर्फ और 30 लीटर हाइपो केमिकल की जरूरत पड़ती है, लेकिन रिम्स प्रबंधन के द्वारा पिछले कई दिनों से आपूर्ति नहीं किये जाने के कारण सिर्फ पानी से ही कपड़ों को साफ कर आयरन किया जा रहा है. इसके बाद बेडशीट और ब्लैंकेट को वार्ड में पहुंचा दिया जाता है.
अच्छी तरह से नहीं होती है बेडशीट की सफाई
वहीं रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीज के परिजनों ने कहा कि अस्पताल के द्वारा बेडशीट उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन इसकी सफाई ठीक ढंग से नहीं होती है. जिस कारण घर से लाये हुए बेडशीट को बिछाकर अपने मरीज को बेड पर लेटाना पड़ता है. वहीं कई परिजनों का आरोप है कि हर रोज बेडशीट नहीं बदला जाता है. जिस कारण संक्रमण का खतरा बना रहता है.
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