LagatarDesk : केंद्र सरकार ने जरूरी एंटीबायोटिक्स दवाइयों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने आवश्यक दवाओं की नयी राष्ट्रीय सूची (NLEM 2022) जारी की है. इसमें 384 दवाएं शामिल हैं. इसमें 34 नई दवाओं को जोड़ा गया है. इस फैसले के बाद पेन किलर, एंटीबायोटिक्स दवाओं समेत निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी प्रोडक्ट सस्ते हो सकते हैं. इस लिस्ट में शामिल की जाने वाली दवाएं और उपकरणों की कीमतें नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) द्वारा तय किया जायेगा. इसके बाद यह दवाएं तय कीमत पर मार्केट में बिकेंगे.
आवश्यक दवाओं की लिस्ट से रैनिटिडीन समेत 26 दवाओं में हटाया गया
दूसरी तरफ आवश्यक दवाओं की नयी राष्ट्रीय सूची से 26 दवाओं को हटाया दिया गया है. कैंसर के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह फैसला लिया है. जिन 26 दवाओं को आवश्यक दवाओं की लिस्ट से हटाया है उसमें प्रसिद्ध एंटासिड सॉल्ट रैनिटिडीन भी शामिल है. रैनिटिडीन को मुख्य रूप से एसीलोक (Aciloc), जिनेटैक (Zinetac) और रैंटैक (Rantac) ब्रांड के नाम से बेचा जाता है. इन दवाओं का इस्तेमाल आमतौर पर एसिडिटी और पेट दर्द से जुड़ी बीमारियों के लिए किया जाता है.
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इन 26 दवाओं को लिस्ट से हटाया
अल्टेप्लेस , एटेनोलोल, ब्लीचिंग पाउडर, कैप्रोमाइसिन, सेट्रिमाइड, क्लोरफेनिरामाइन, दिलोक्सैनाइड फ्यूरोएट , डिमेरकाप्रोलो , एरिथ्रोमाइसिन, एथिनिल एस्ट्राडियोल , एथिनिल एस्ट्राडियोल (ए) नोरेथिस्टरोन (बी), गैनिक्लोविर, कनामाइसिन , लैमिवुडिन-ए + नेविरापीन-बी+ स्टावूडीन-सी, लेफ्लुनोमाइड, मेथिल्डोपा, निकोटिनामाइड , पेगीलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2ए, पेगीलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2बी, पेंटामिडाइन (Pentamidine), प्रिलोकेन (ए) + लिग्नोकेन (बी), प्रोकार्बाज़िन, रैनिटिडीन, रिफाब्यूटिन, स्टावूडीन (ए) + लैमिवुडिन (बी), सुक्रालफेट और सफेद पेट्रोलेटम को आवश्यक दवाओं की लिस्ट से हटा दिया गया है.
2019 से कैंसर से संबंधित चिंताओं को लेकर जांच के दायरे में रैनिटिडिन
बता दें कि कैंसर से संबंधित चिंताओं के लिए रैनिटिडिन दुनिया भर में जांच के दायरे में है. इसकी जांच 2019 से चल रही है. जब अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन को दवा में कैंसर पैदा करने की आशंका वाली गड़बड़ी मिली थी. दवा नियामकों ने रैनिटिडिन युक्त दवाओं के नमूनों में कैंसर पैदा करने वाली गड़बड़ी एन-नाइट्रोसोडिमिथाइलमाइन (एनडीएमए) को ‘अस्वीकार्य स्तर’ पर पाया था.
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कोरोना की दवाओं और टीकों को लिस्ट में नहीं किया गया शामिल
आवश्यक दवाओं की लिस्ट में जिन 34 नई दवाओं को शामिल किया गया है उसमें एंटी-इन्फेक्टिव (एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल आदि), मधुमेह के इलाज के लिए दवाएं, एचआईवी, टीबी, गर्भनिरोधक और हार्मोनल दवाएं शामिल हैं. हालांकि कोरोना की दवाओं और टीकों को इस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है. क्योंकि यह इमरजेंसी इस्तेमाल अथॉरिटी (EUA) के तहत आती हैं.
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हर तीन साल में लिस्ट किया जाता है रिवाइजड
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि आवश्यक दवाओं की नयी राष्ट्रीय सूची का मसौदा तैयार करना एक लंबी प्रक्रिया है. पूरे भारत के लगभग 350 विशेषज्ञों ने NLEM 2022 का मसौदा तैयार किया है. इसके लिए उन्होंने 140 से अधिक कंसल्टेशन मीटिंग्स की हैं. हर तीन साल में इस लिस्ट को रिवाइज किया जाता है. लेकिन इस बार सात साल बाद लिस्ट में बदलाव किया जा रहा है. कोविड की वजह से लिस्ट को अपडेट नहीं किया जा सका था. इससे पहले साल 2015 में NLEM लिस्ट में बदलाव किया गया था.
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थोक प्राइस इंडेक्स के आधार पर तय होता है दवाइयों की कीमत
नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटीमें शामिल दवाइयों को शेड्यूल दवा कहा जाता है. NPPA इन दवाओं की कीमतों को थोक प्राइस इंडेक्स के आधार पर तय करता है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि NLEM सुरक्षा, प्रभावकारिता और लागत (किफायती) पर तैयार किया गया है. इसमें केवल वे दवाएं शामिल हैं, जिन्हें भारतीय नियामक ने अप्रूव किया है. नई सूची को देश में बीमारी के बोझ और वर्तमान के इलाज को प्रोसेस को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. बता दें किइस सूची में जो दवाएं शामिल नहीं हैं, उनकी कीमतों में हर साल 10 फीसदी बढ़ोतरी करने की अनुमति है.
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